शनिवार, 10 जून 2017

छुट भैये और बड़ भैये ------


हमारे देश में नेता और नारी पर जितना लिखा जाए कम है | नारी पर लिखने के लिए मेहनत चाहिए नेता पर लिखने के लिए हिम्मत | 

बड़ा नेता यानि कि वह इमारत जिसकी बुनियाद छुट भैयों से बनती है | वह इबारत जो छुट भैये की छाती पर लिखी जाती है और पढ़ी बड़ भैया की शान में जाती है | 

बड़ भैया साँप हैं तो छुट भैया वह पत्ता, जिन पर सांप सरसराता चलता है | बड़ भैया नाव है तो छुट भैया पोखर का पानी जिस पर बड़ भैया ठाठ से पतवार चलाता है | बड़ भैया चील है तो छुट भैया वह पत्थर जिस पर चील शिकार खाता है | बड़ भैया गिरगिट है तो छुट भैया वह पेड़ की डाल जिस पर गिरगिट छिपा रहता है | बड़ भैया मकड़ा है तो छुट भैया वह दीवार जिस पर मकड़ा जाल बुनता है | 

छुट भैया वह चीज़ होता है जो अपने बड़ भैया के लिए जान न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहता है | चुनाव के दौरान बड़ भैया के लिए वोटों का जुगाड़ करता है | कॉलेज के लड़कों से लेकर खोखे, फड़ वालों, मजदूरों तक को भीड़ में, जुलूस में, नारे लगाने में शामिल करता है | सबका हमदम सबका दोस्त छुट भैया | 

एक दूसरे पर आश्रित बड़ भैया और छुट भैया | 

बड़ भैया, छुट भैया पर चुनाव जीतने के बाद वरदहस्त रख देते हैं तो वह किसी न किसी परिषद् का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, उपमंत्री, सहमंत्री, मंत्री कुछ भी बन जाता है | 
 
बड़ भैया पहले से ही शादीशुदा होते हैं जबकि छुट भैये की शादी बहुत मुश्किल से होती है क्योंकि कोई भी लड़की वाले इतने बड़े दिल के नहीं होते कि अपनी लड़की एक सेवक को सौंप दें | भला हो बड़ भैया की इमेज का कि कोई न कोई लड़की वाला आखिरकार फंस ही जाता है | ऐसे छुट भैये की जब शादी होती है तब बड़ा ही रोचक दृश्य उपस्थित हो जाता है | 

बारात के दिन जहाँ अन्य साधारण दूल्हे अपने को राजा से कमतर नहीं समझते, घमंड से गर्दन ऊंची तनी रहती है, किसी का भी अभिवादन करना उन्हें अपनी शान के खिलाफ लगता है, वहीं छुट भैया अपनी खुद की शादी में भी सबको झुक - झुककर नमस्ते करता है, कि कहीं कोई नाराज़ न हो जाए | सबके पास व्यक्तिगत रूप से जाकर खीसें निपोरता है | 'खाना खाया कि नहीं', ड्रिंक आई या नहीं, भाभीजी और बच्चों को क्यों नहीं लाए, अम्मा की तबीयत कैसी है, भाई की नौकरी लगी या नहीं ? आदि आदि | अपनी शादी के दिन भी वह सबकी फ़िक्र में घुला रहता है |  
बड़ भैया जहाँ सिर्फ वोट मिलने तक ही हाथ जोड़ते हैं वहीं छुट भैये की जनता के आगे हाथ जोड़े रखने की मजबूरी होती है | क्योंकि यह जनता उसी का गला पकड़ती है | बड़ भैय्या तो हाथ आने से रहे | 

छुट भैये की शादी में बड़ भैये को अनिवार्य रूप से शामिल होना होता है | यह छुट भैये की इज़्ज़त का सवाल होता है | छुट भैया अपनी शादी की तिथि ग्रह, मुहूर्त, नक्षत्र, मौसम, रिश्तेदारों की सुविधा, परीक्षा की तिथि और बैंकट हॉल की उपलब्धता के आधार पर न करके बड़ भैये की उपरोक्त दिन की उपलब्धता के आधार पर पक्की करवाता है | बड़ भैया उसकी शादी की बारात में शामिल होकर बारात की रौनक बढ़ाने के काम आता है |

बारात में भी लोग अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आते | जबरन उन्हें नाचने पर विवश कर देते हैं | बाराती उनका हाथ पकड़कर जबरन बैयां मरोड़ने की कोशिश करते हैं | वे प्रयास करते हैं कि किसी तरह से इनकी कमर [ रा ] हिल जाए या एक हाथ ज़रा सा मुड़ जाए ताकि वीडिओ में ऐसा लग सके कि बड़ भैया बारात में नाचते भी हैं | थोड़ी देर यूँ ही जबरदस्ती हाथ - पैर हिला कर बड़ भैया पैदल चलने लगते हैं | 

बड़ भैया का चेहरा दिखाकर छुट भैया का विवाह पक्का करवाने वाले बिचौलियों की दृष्टि में लड़की वालों पर रोआब गांठने के लिए बारात में बड़ भैया की उपस्थिति अत्यंत आवश्यक है | हांलाकि बड़ भैया के शादी में शामिल होने से एक पैसे की भी बचत नहीं होती उलटे तीस चालीस पिछलग्गुओं के भोजन और टीके का खर्चा अलग से बढ़ता है | इसका बस एक ही फायदा है कि जनता के मध्य यह सन्देश पहुंच जाता है कि बड़ भैया चुनाव जीतने के बाद भी आम लोगों की तरह रहते हैं | जान - सामान्य की शादी - विवाह में सम्मिलित होते हैं | सबके साथ खड़े होकर दावत भी खा लेते हैं | 

उधर दुल्हन के घरवाले दूल्हे का स्वागत करना भूल जाते हैं | सालियाँ तक जूता चुराना भूल जाती हैं | सारे आगंतुक दूल्हे को छोड़कर बड़ भैया के साथ फोटो खिचवाने में व्यस्त हो जाते हैं | दूल्हे को देखने में किसी की दिलचस्पी नहीं रहती | शादी की सारी रौनक बड़ भैया चुरा ले जाते हैं | छुट भैया को आज अपना होना सार्थक लगने लगता है | वह बार - बार अपनी भीग आई आँखों को पोछता है |   

अपनी शादी के समय छुट भैया कभी - कभी भाव - विभोर होकर इतना विनीत हो जाता है कि अपनी दूल्हे वाली शाही कुर्सी को बड़ भैया के आते ही छोड़ देता है, और दुल्हन के बगल में बड़ भैया को बैठने के लिए कह देता है, मानो कहना चाह रहा हो '' बड़ भैया ! किसी भी तरह की कुर्सी पर चाहे वह शादी की ही क्यों न हो, बैठने का पहला हक आपका ही है' | बड़ भैया गद - गद हो जाते हैं | जब तक बड़ भैया स्टेज से उतर नहीं जाते, वह खड़ा ही रहता है | 

छुट भैया कई बार भूल जाता है कि यह उसकी शादी का मंडप है और दूल्हा वह है | 

दुल्हन जब उसके गले में जयमाला डालने के लिए खड़ी होती है तो वह शर्मिन्दा हो जाता है '' काश ! इस समय बड़ भैया होते ! माला तो उन्हीं के गले में शोभा पाती है'' | वह इधर - उधर नज़र दौड़ाता है, बड़ भैया दूर - दूर तक नज़र नहीं आते तो मजबूरन माला पहिनने के लिए सिर झुका देता है | 

शादी के बाद दुल्हन जब अपनी एल्बम देखती है तो पाती है कि एक चौथाई फोटुओं पर बड़ भैया का कब्ज़ा है | उसका हज़ारों का मेकअप, लहंगा, उसकी बहनों के हेयर स्टाइल, दोस्तों के डिज़ाइनर कपडे, रिश्तेदारों के जड़ाऊ जेवरात, सब नेपथ्य में चले गए हैं | दुल्हन सिर पकड़कर रह जाती है |