बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

व्रत - उपवास और कमजोरी .....उफ्फ्फ

 
साथियों नवरात्रियाँ चल रही हैं |  एक तो धार्मिक वजह से दूसरे  वजन कम करने के लिए मैंने भी व्रत ले रखे हैं | नौ दिन के व्रत शुरु करने से पहले मुझे भारी मानसिक तनाव से जूझना  पड़ा | व्रत में क्या - क्या खाया जाता है और क्या - क्या नहीं,  इसको जानने के लिए मैंने  तमाम लोगों की राय ली | पास - पड़ोस, नातेदारी, रिश्तेदारी की व्रत प्रिय बहिनों से संपर्क साधा | ये बहिनें  हफ्ते में पाँच दिन व्रत करती हैं |  इनसे पूछ कर मैंने व्रत का मेनू बनाया,  जिसका लाभ आप लोग भी उठा सकते हैं | विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के व्यंजन वाले कॉलमों पर तीखी  नज़र रखी | 'व्रत के दौरान क्या- क्या खाएं' वाले विशेषांकों को महीने भर पहले से सहेजना शुरू कर दिया था, ताकि ऐन  व्रत के समय कोई परेशानी ना खड़ी हो जाए | 
 
सुबह का नाश्ता ........
 
सुबह के नाश्ते में कोटू के आटे के चीले, [ मिलावटी कोटू की अफवाहों पर ध्यान ना देते हुए, प्राण जाए पर व्रत ना जाए वाली स्थिति  ] सेंधा नमक डले   हुए  चटपटे  आलू के गुटके, एक गिलास गाढ़ा मलाई दार  दूध, मुट्ठी भर काजू और बादाम भून कर खाए  |   नाश्ते के उपरान्त एक गिलास सेब का अथवा अन्य मौसमी फल का जूस अवश्य पिया,  ताकि व्रत करने से कमजोरी महसूस ना हो | कभी - कभार जूस पीने का मन नहीं किया तो कोल्ड - ड्रिंक   से काम चला लिया  | कोल्ड - ड्रिंक व्रत में पी सकने योग्य पेय पदार्थ है, ऐसा मुझे पड़ोस की कई महिलाओं ने बताया | व्रत में कई लोगों को मैंने चोकलेट और टॉफी भी खाते देखा है, अतः बीच - बीच में इन्हें भी मुँह में धर लिया |
 
दिन का खाना ..........
 
चूँकि अन्न तो खाना नहीं था , इसीलिये साबूदाने, आलू और मूंगफली की खिचड़ी तल ली | भूखे पेट ज्यादा पकवान पकाने की ताकत शरीर में नहीं थी,  अतः एक कटोरी दही  से ही काम चला लिया | साथ में सिंघाड़े के आटे का हलवा देसी घी में बना लिया | शरीर में खनिज लवणों की कमी ना होने पाए इसके लिए सेब, केला, पपीता, अनार, अमरुद, नाशपाती इत्यादे फलों को लेकर मिक्स कर के  इन मिक्स फलों के ऊपर क्रीम डाल कर इनका सेवन कर लिया | इस हलके - फुल्के भोजन के उपरान्त मौसमी का जूस पीया ताकि शरीर में थोड़ी बहुत ताकत बनी रहे |
 
शाम का नाश्ता ........
 
व्रत किया है सो शाम का नाश्ता भी हल्का ही रखना था | बादाम, काजू, किशमिश, छुआरे, रामदाने, अखरोट  इत्यादि को देसी घी में भून कर खा लिया | इन सब को पीस कर लड्डू भी बना रखे थे, जब जैसा  मन किया वैसा खा लिया | एक गिलास शुद्ध दूध की कॉफ़ी के इनको साथ निगल लिया |  साथ में एक पाव बर्फी और एक पाव  रबड़ी  भी उदरस्थ कर ली | अंत में खोया और पिस्ता डली हुई  लस्सी, जिसे  व्रत के किये स्पेशल दूकान से मंगाया था,  का पान किया | दिन भर में चार पाँच बार दूध पीकर जी ख़राब हो जाने के कारण  पेट भरने के लिए मजबूरन लस्सी का सहारा  लेना पड़ा  |
 
रात का खाना ........
 
यूँ तो खाना ही अपने आप में एक समस्या है उस पर रात का खाना क्या होगा, यह मेरे लिए गंभीर चिंतन का विषय  है | बड़े - बूढ़े कहते हैं कि रात को भूखे पेट कभी नहीं सोना चाहिए | बड़े - बुजुर्गों की हांलांकि मैंने कभी कोई बात नहीं मानी, लेकिन इस बात पर  मैंने उनका साथ दिया  | खाना हल्का भी रखना है और पेट भी भरना  है, सो बहुत दिमाग लगाना पड़ा, कई बार माथा - पच्ची करनी पड़ी, सहेलियों से फोन पर पूछा , तब जाकर समुद्र मंथन की तरह अमृत निकल कर बाहर आया | रात में उबले हुए आलुओं को कोटू में मिला लिया | यहाँ पर मैंने एक अक्लमंदी काम यह किया कि  सुबह से ही दो किलो आलू उबाल कर  रख लिए  ताकि व्रत के दौरान बार - बार काम ना करना पड़े |  खाली पेट काम करने में काफ़ी दिक्कत हो सकती है | इन उबले आलुओं की शुद्ध घी में थोड़ी पकौड़ियाँ, और थोड़ी कचौड़ी तलीं  | इसके अलावा बाज़ार में फलाहारी चावल भी उपलब्ध हैं,  सुबह से खाली पेट को भरने के लिए कुछ ना कुछ ठोस आहार  तो चाहिए ही  अतः उनका पुलाव बनाना  मैंने अति आवश्यक समझा  | घर वालों के विशेष आग्रह पर  मीठे में  थोड़ी सी  ड्राई फ्रूट की खीर बना ली थी |
 
कई बार रात का खाना  बनाने  की शरीर में ज़रा भी शक्ति नहीं बचने होने की  स्थिति में  होटल में जाकर फलाहारी भोजन किया  | आजकल कई होटल ग्राहकों की मांग को देखते हुए फलाहारी थाली परोसने लगे हैं | अखबार के साथ आने वाले सभी विज्ञापन मैंने जमा कर रखे हैं | जिस होटल के भोजन में सबसे ज्यादा विविधता लगी  , उसी होटल में जाकर अपना उपवास तोड़ा  |
 
इसके अतिरिक्त मूंगफली भून कर, उसमे शक्कर मिला कर रख ली थी  | इसे घर में ऐसे  दो - तीन  स्थानों  पर रख दिया था  जहाँ बार - बार आना पड़ता है और हर बार आने - जाने में  मुट्ठी भर दाने लेकर टूंगती रही  | इससे भूखे रहने के दौरान बहुत ऊर्जा मिली |
 
व्रत करने में खाली पेट रहने के अलावा बड़ी समस्या यह आई  कि व्रत वाला खाना देखकर घर के और सदस्य लार टपकाने लगे || तरह - तरह के ताने भी सुनने  पड़े  |  लेकिन मैं अपने व्रत करने के निश्चय से हटी नहीं, अपितु  डट कर उनका सामना किया | घर के बच्चे मेरा व्रत का रूखा - सूखा  खाना देखकर मचल गए  | बच्चों को प्यार से समझाना पड़ा  कि व्रत करना कोई बच्चों का खेल नहीं है, और यह उनके खाने - पीने की उम्र है, व्रत करने की नहीं |  बुजुर्गों को डांट कर समझाना पड़ा कि इस उम्र उनका में उपवास करना समझदारी नहीं है | पति से प्रेमपूर्वक कहना पड़ा  है कि '' अरे ! आप क्यूँ व्रत करते हैं ?  आपको दफ्तर में इतना काम करना पड़ता है | हमारा  क्या है हम तो घर में खाली बैठे हैं, उपवास कर भी लिया तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा |'' 
 
आज नौ दिन के व्रत करने के उपरान्त समझ में आया कि व्रत - उपवास करना कोई आसान काम नहीं है | हमारे बचपन में घर के बड़े बूढ़े हम बच्चों को क्यूँ व्रत करने नहीं देते थे ? इतने दिन खाना ना खाने के कारण  शरीर में कमजोरी और थकान महसूस हो रही है | उम्मीद करती हूँ कि  इन नवरात्रों में पाँच - छः किलो वजन अवश्य कम हो गया होगा , साथ ही साथ मेरा व्रत करने का असल  मकसद भी पूर्ण हो गया होगा |