शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

सर्दी देखूँ या सर्दी का बाज़ार देखूँ .......

सर्दी देखूँ या सर्दी का बाज़ार देखूँ .......

रंग - बिरंगे स्वेटर
टोपी, जैकेट, मफलर
शाल, मोज़े, दस्ताने
गरम इनर, पायजामे
जूते और कोट से जगह जगह
पटा हुआ बाज़ार देखूं ।

सर्दी देखूं या सर्दी का बाज़ार देखूं ?

बकरे की जान 

मुर्गे की टांग
मछली के पकौड़े
अण्डों की बिक्री ने
पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़े
सब्जी - फल गर्मी के हवाले
फल - फूल रहा सर्वत्र
मांसाहार देखूं ।

सर्दी देखूं या सर्दी का बाज़ार देखूं ?

गजक, रेवड़ी, लड्डू

मूंगफली, पकौड़ी, हलवा
जिसकी जेब में माल भरा हो
मौसम भी देखे उसका जलवा
दो दिन के इस मेहमान का
शाही स्वागत -सत्कार देखूं ।

सर्दी देखूं या सर्दी का बाज़ार देखूं ?

कॉफ़ी, सूप, चाय
अद्धी, व्हिस्की, रम
जितनी भी पी लो
लगती है कम
पानी की किल्लत
शराब की इफरात में
बह रहे देश के भावी
कर्णधार देखूं ।

सर्दी देखूं या सर्दी का बाज़ार देखूं ?

गठिया, दमा, जोड़ों के दर्द
जानलेवा बन गए दिल के सारे मर्ज़
हीटर, गीज़र, ब्लोअर, इन्हेलर
कम्बल, थुलमे, गर्म रजाई
ठंडक सीधी हड्डी तक घुस आई 
खबर से ज्यादा इन दिनों
शोक वाले समाचार देखूँ ।

सर्दी देखूं या सर्दी का बाज़ार देखूं ?
   
क्रीम की गहरी पर्तें हैं
सौन्दर्य की अपनी शर्तें हैं 
होंठों की रक्षा, पैरों की सुरक्षा
रेशम सी चिकनी और मुलायम
त्वचा के पीछे
संवेदनाओं का सूख चूका
संसार देखूं ।

सर्दी देखूं या सर्दी का बाज़ार देखूं ?

ये सर्दी के मेले
मेले में कुछ लोग अकेले
इन लोगों का 
रैन बसेरों में सिमटा
कम्बल में लिपटा
चौराहों के अलाव में
माँ की गोद में चिपटा
दूसरा ही संसार देखूँ

सर्दी देखूँ या सर्दी की धार देखूँ .......

मौसम की मार से ज्यादा
मौसम का कारोबार देखूँ


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