शनिवार, 27 अगस्त 2011

ड्राफ्ट के इस क्राफ्ट में एक ड्राफ्ट यह भी ...........

ड्राफ्ट के इस क्राफ्ट में एक ड्राफ्ट यह भी  ...........

कौन कौन लोकपाल विधेयक के दायरे से बाहर होने चाहिए ................

पी. एम्., सी. एम्., डी एम् 
सरकारी कर्मचारी, 
बड़े अधिकारी, 
संसद बेचारी |

मंत्रियों के रिश्तेदार ,
नेताओं के नातेदार ,
सात पुश्त तक 
नेहरु - गाँधी परिवार |

वतन के गद्दार, 
शराब के ठेकेदार, 
स्विस बेंकों के खातेदार | 

दबंग, बाहुबली, 
नोकतंत्र के रखवाले, 
नोट के बदले वोट
वोट के बदले नोट वाले | 
 
रिश्वतखोर, सूदखोर 
करचोर, जमाखोर |

धोखेबाज, बेईमान,  
सिर्फ़ नाम के इंसान |

इनको लोकपाल से दूर करो 
देश को  मज़बूत करो  |

लोकपाल के दायरे में कौन कौन आने चाहिए ................

दिहाड़ी मजदूर, 
दो रोटी के लिए मजबूर | 

खेतिहर किसान, 
आम इंसान, 
सेना के जवान |

रिक्शे वाले, ठेलेवाले ,
सुबह से शाम खटने वाले |

स्वतंत्रता सेनानी,
अनशन करने वाले,
सत्य अहिंसा और प्रेम 
पर चलने वाले  | 

मतदाता , करदाता, 
भारत  भाग्यविधाता |

ईमानदार, ज़िम्मेदार ,
सिद्धांतवादी, सच्चे गांधीवादी |

साधु, योगी, 
दैनिक वेतनभोगी, 
पेंशन वाले , ज़मीन पर पलने वाले 
उसूलों पर चलने वाले |

कवि, लेखक ,
अन्ना के समर्थक   
समाज के सभी सेवक |

इनको लोकपाल में लाओ 
लोकतंत्र मज़बूत बनाओ | 


गुरुवार, 25 अगस्त 2011

जो अनशन पर बैठा है वो बिलकुल स्वस्थ है, फिर ये कौन हैं जिनकी हालत पस्त है ?

 
इनकी ...........................
 
आए दिन ज़ुबान फिसल रही है
अक्ल काम नहीं कर रही है |
 
ब्लड प्रेशर हाई है
चेहरे पर उड़ी हवाई है |
 
सीने में जलन है
आवाज़ में कम्पन है |
 
पसीना पोछ रहे हैं  
''कल क्या होगा'' सोच रहे हैं |
 
सांस में सांस अटकी है
गले में फांस अटकी है |
 
चेहरा सिकुड़ा है
शरीर निचुड़ा है |
 
हौसले पस्त हैं
चाल सुस्त है |
 
पैर लड़खड़ा रहे हैं
भीड़ देखकर हड़बड़ा रहे हैं |
 
उम्मीदें  बुझी - बुझी हैं
कमर झुकी - झुकी है |
 
रीढ़ टूट गई है
नींद रूठ गई है |
 
आँखों से दिखाई नहीं देता
कानों से सुनाई नहीं देता |
 
सारे रंग उड़े हुए हैं
दस दिनों में बूढ़े हुए हैं |
 
जो अनशन पर बैठा है वो बिलकुल स्वस्थ  है
फिर ये कौन हैं जिनकी हालत पस्त है ?
 
 
 
 
 
 
 
 

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

अन्ना भूखा रहे तुम्हारा |

नहीं रहा अब कोई चारा, 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा |
 
सदा घूस को खाने वाला 
सात पुश्त भर जाने वाला  
चोरों को हरषाने वाला
बिल होवेगा पास हमारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा |
 
जन - गण - मन के भीषण रण में
वो गिरगिट जैसे बदलें क्षण - क्षण में
काँपे ''जन'' बिल देखकर मन में
अब जावेगा राज सारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा
 
इस बिल के पीछे निर्भय
वो खड़े हुए थे करके निश्चय
होगी  दलीय एकता की जय
फूले - फले बस लाल [ सरकारी लोकपाल ] हमारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा
 
आओ प्यारी ''नीरो'' आओ 
रोम - रोम से इटली गाओ  
एक साथ सब जोर लगाओ
भ्रष्टाचार हो ध्येय हमारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा
 
बिल यह पेश ना होने पाए
चाहे जान भले ही जाए [ अन्ना की ]
बार - बार कमियाँ गिनवाएं
तब होवे प्लान पूर्ण हमारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा,
नहीं रहा अब कोई चारा |
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा |

''थैंक यू वैरी मच भ्रष्टाचार''

 
 ''थैंक  यू वैरी मच भ्रष्टाचार'' |
 
आम हो गया ख़ास
ख़ास हो गया आम
अन्ना की एक आवाज़ पर
वक्त  का पहिया जाम |
 
देश भक्ति में सब रंगे
झगड़ा, फ़साद ना दंगे  
जहाँ तक पहुचे नज़र
बस तिरंगे ही तिरंगे |
 
हाथ बांधे, खड़े हैं बेबस
बारिश, धूप और उमस 
सिर चढ़ कर  बोल रहा
हौसला, हिम्मत और साहस  |
 
भारत माँ के डटे हैं  लाल
अन्ना की बन रहे हैं  ढाल 
थामे हुए हैं कमान को
बेदी, भूषण, और केजरीवाल |
 
जब उमड़ के आया  जन सैलाब
तब मिल गया मुंहतोड़ जवाब
हर बहाना हुआ बेअसर,
अँधेरे को चीर कर
आएगी अब नई सहर |
 
टूटेगा, मनमोहन का मौन 
सिब्बल का बल 
रोकेगा, भ्रष्टाचार के रथ को 
सवा करोड़  अन्नाओं का दल  | 
 
जब, मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना 
ये भी अन्ना, वो भी अन्ना 
तब,  निश्चित है साथियों 
जन लोकपाल का बनना  |
 
ये हौसला, जूनून, ये जज़्बा
भर गया  गली, कूचा, और कस्बा 
भ्रष्टाचार मुक्त वतन की चाहत 
जिन आँखों पर बंधी है पट्टी
उनके लिए विदेशी ताकत |
 
ओ ! जादू की छड़ी ढूँढने वालों !
गद्दी  के लालों !
घोटालों के मतवालों !
बेईमानों के रखवालों !
 
एक भूखे पेट के साथ
यूँ ही नहीं हैं लाखों  हाथ
जब - जब गुज़रा सिर से पानी
राजा ने भी खाई मात | 
 
यूँ ही भरा रहे दिलों में प्यार
हमारी एकता रहे बरकरार
इसीलिये  सब मिलकर गाओ   
''थैंक  यू वैरी मच भ्रष्टाचार''