शनिवार, 27 जून 2009

कुछ चिरकुट से शेर .....

कुछ चिरकुट से शेर .....
 
सूने पन से त्रस्त हूँ
वैसे बेहद मस्त हूँ
करीने से सजा है मकां मेरा
मैं इसमें अस्त व्यस्त हूँ
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वो नंबर बन के
मेरे पर्स में रहता है
खुद को कहता है आवारा पंछी
और मेरी मुट्ठी में कैद रहता है
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तेरी ख्वाहिश, तेरी आरजू
तेरी तमन्ना , तेरी जुस्तजू
तूने भी कहा चीख कर
दुनिया के साथ -साथ
बेरोजगार हूँ मैं , बेकार हूँ मैं