सोमवार, 29 अप्रैल 2013

दिल चाहिए बस मेड इन चाइना ....


सुनी जबसे खबर कि चीन भारत में घुसपैठ कर गया । प्यारे बापू का दिल ही बैठ गया । 

बहुत परेशान हो गए । गुस्ताखी पर उसकी हैरान रह गए ।

कैसे भारत की सीमा के इतने अन्दर घुस आया होगा ? क्या किसी को भी नज़र नहीं आया होगा ?

मुझको अभी के अभी धरती पे जाना होगा । जैसे भगाया था अंग्रेजों को, इनको भी भागना होगा ।

जंग - ए - आजादी अभी जिंदा है मेरे अन्दर । धड़कता है मेरा भारत मेरे सीने के अन्दर ।

सत्याग्रह, असहयोग के सारे तरीके याद हैं आज भी । खदेड़ा था कैसे अंग्रेजों को, याद है आज भी ।

देखना बा ! मेरी एक आवाज़ पर देश के दीवाने दौड़े चले आएँगे । वो आज़ादी के परवाने बूढ़े हो गए होंगे, फिर भी खुद को रोक न पाएँगे ।  देश पर मर मिटने वाले मस्तानों की फ़ौज भागी चली आएगी । तुम देखना ! कैसे फिर हर चौराहे पर  चाइनीज़ आइटमों की होली जलाई जाएगी । आजादी के आन्दोलन की याद एक बार फिर ताज़ा हो जाएगी ।

देखना, कैसे तिलमिला जाएगा चीन । पीछे लौट जाएगा, मुझको पक्का है यकीन ।

जला के आग बैठ गए बापू चौराहे पर । आती होगी भीड़ की भीड़ मेरे एक इशारे पर । 

सुबह से शाम हो गयी, शाम से रात हो गयी । एक परिंदे ने भी पर नहीं मारा । कैसी  गज़ब की बात हो गयी ।

सुनती हो ...क्या मेरी आँखें इतनी कमज़ोर हो गयी जो एक भी इंसान की सूरत नहीं दिखाई दे रही ? कान के पर्दों की हालत इतनी बदतर हो गयी, जो एक भी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही ?।

जलते - जलते आग कम से कमतर होती गयी । धीरे धीरे बुझती चली गयी, राख का ढेर लग गया ।  मन के साथ -साथ बापू का दिल भी बुझ गया ।

अभी - अभी तो मुल्क आज़ाद हुआ था ।

अभी अभी तो सुखद सा एहसास हुआ था । 

इतनी जल्दी मेरे देश को ये क्या हो गया ?
 
बताओ बा ! मेरा भारत क्यूँ इतनी जल्दी सो गया ?

औरत, और ही मिट्टी की बनी होती है इसीलिये दुनिया का तौर जल्द समझ लेती है । 

बोली बा ....कहा था न मैंने - बहुत पछताओगे । धरती पर जा तो रहे हो लेकिन हाथ मलते रह जाओगे ।

वो लोग और थे । वो जज़्बे और थे ।

तब लोग समझदारी की बात करते थे । अब लोग खरीदारी की बात करते हैं ।

अंग्रेजों का बहिष्कार आसान था । कपड़ों का बाज़ार भी सुनसान था ।

घर - घर में चरखे थे । लोग कपडे बुनते थे । तब कपड़ों से तन ढके जाते थे । अब कपड़ों के बोझ से घर ढक  जाते हैं । 

अब अगर तुम्हारे कहने से लोग बाहर आएँगे, तो क्या छोड़ेंगे और क्या जलाएंगे ? इनके घरों में झांकोगे तो तो आँखें खुली की खुली रह जाएंगी ।

सुई से लेकर रुई तक, टी वी से लेकर सेल फोन तक छोटी - बड़ी हर वस्तु पर मेड इन चाइना का लेवल चिपका मिलेगा । घर से लेकर बाज़ार तक चीन का दौड़ता हुआ सिक्का मिलेगा । 

जिस बाज़ार पे खड़े हो तुम होली जला के , इतनी रात को भी कितना गुलज़ार है । देखो गौर से,  इसका तो नाम ही चाइना बाज़ार है । 


अब तो होली के रंग भी चीन से आते हैं । दीपावली पर दिए भी उसी की कृपा से जल पाते हैं । ईद और क्रिसमस भी इससे अछूते नहीं रह गए । उफ़.... तुम्हारी जल्दबाजी में मेरे चाइनीज़ जूते घर में ही रह गए । 

रक्षाबंधन की राखी हो या जन्माष्टमी की झांकी । झालर हों या बंदनवार, बिन चाइनीज़ आइटम अधूरा सा लगे हर त्यौहार । 

कैसी भी हो दावत, बिना चाउमीन अधूरी समझी जाती है, बच्चा, बूढा या हो जवान, सबकी प्लेटों की शोभा बढ़ाती है । हर ठेले, हर मेले, हर होटल, हर दुकान में उसका होना अनिवार्य है ।  हर धर्म के लोगों को यह सहर्ष स्वीकार्य है । 

दुकान में जाओ तो ओरिजनल से ज्यादा डुप्लीकेट मिलता है । दुकानदार कहता है यहाँ तो बस यही बिकता है और यही चलता है । लेना है तो लो वरना फ़ौरन आगे बढ़ो । 

मान भी जाओ अपनी हार । चाइनीज़ आइटमों से पटा हुआ है बाज़ार ।  सस्ता रोये बार - बार, महंगा रोए एक बार वाली कहावत प्यारे भारतवासियों के पल्ले नहीं पड़ती है । बार - बार रोने की आदत हो जिसको, उसको यह बात अच्छी नहीं लगती है ।  
  
 अब दुःख मत मनाओ, शोक के गीत मत गाओ । 

ज्यादा देर लगाओगे ....तो देख लेना, कहे देती हूँ ..तुम भी चाइनीज़ आइटम समझ लिए जाओगे और चाइना बाज़ार की किसी दुकान में शो केस के अन्दर रखवा दिए जाओगे ।