डरते, सहमते कांपते
गिरते पड़ते हाँफते
पहुंचा जब विधानसभा
काँटा सा दिल में चुभा
देखा जब उसने
माया का जैसा
प्रक्षेपास्त्र
मुलायम का जैसा
ब्रह्मास्त्र
समझ में उसको आ गयी
अपनी नन्हीं सी औकात
ऎटम, न्यूक्लिअर, हाइड्रोजन
जिनके आगे टिकते हों कम
देख के ऐसे -ऐसे बम
निकल गया था उसका दम
इनकी बातों में बारूद है
नस-नस में भरे हुए अंगार
ये जलते बिन तीली के
सामने हो जब कोई शिकार
हुआ शर्म से पानी-पानी
फिस्स हो गया बेचारा
आया था फट पड़ने को
ढेर हुआ किस्मत का मारा
फिस्स तो होना ही था इनके सामने. :)
जवाब देंहटाएंbeni dhanyaad jo tumul miki mail karo, tumr blog ki apun favourite mainadd kar halo, miki jab le kumo yaad aa, mein nostalgic he haanu. haan aur ja tak yo kavatk sawal chu bhal taan khichai he rey. ab aachar sanhita le lagun wal chu to zaldi zaldi je le likhun chu likh diyo .
जवाब देंहटाएं(I hope you are able to understand my kumaoni which i know but in bits and parts so forgive me for any error, what so ever)
रोचक कविता.
जवाब देंहटाएंतीखा व्यंग्य समेटे हुए
lovely "vyang". its always a pleasure reading your wrk!!
जवाब देंहटाएंबम को पता चली औकात!
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