साथियों ...इस वर्ष यू.पी. और उत्तराखंड बोर्ड का रिजल्ट बहुत खराब आया ...बहुत बच्चे फ़ेल हुए ...तो मैंने इस विषय पर बहुत खोज बीन करके कुछ कारणों का पता लगाया , जो इस प्रकार हैं ....
नंबरों का है खेल निराला
जो कुछ भी देखा हमने
फ़ौरन कागज़ पर लिख डाला
राष्ट्र भाषा की टेबल पर
बैठे थे पी.एच.डी. डॉक्टर
देखी जब कॉपी पहली
आत्मा उनकी दहली
नैनों से फूटी चिंगारी, बोले -
बर्दाश्त नहीं कर पाउँगा
मातृभाषा का अपमान
चन्द्रबिन्दु नहीं एक भी
इसके भविष्य पर
आज से पूर्ण विराम.
टेबल पर गणित की
बैठीं थीं एक मैडम जी
साथ वाली के कान में
बोली चुपके चुपके
पिछले साल कॉपी के पैसे
मिले नहीं अभी तक मुझको
बच्चे आ गए होंगे घर में
जीरो घुमाओ जल्दी से
घर को अपने खिसको
अगली टेबल पर था
सामाजिक विज्ञान
जिसे जांच रहे थे
एक वृद्ध श्रीमान
आँखों से दिखता था कम
घर में थे जिनके लाखों ग़म
जवान बेटा बेरोजगार
बड़ी बेटी पैंतीस के पार
रोती थी पत्नी जार जार
किस्मत फूट गयी
शादी करके मास्टर से
किसी क्लर्क से होती शादी
रहती होती ठाठ से
देने थे नम्बर साठ
कलम से निकले केवल आठ
अंग्रेजी की टेबल पर
गज़ब हुआ था हाल
पहली कॉपी में देखा
हैस की जगह लगा था हैव
बोले मास्टर दैव! दैव !
ग्रामर पर ऐसा डंडा
घुमाऊंगा जीरो अंडा
जिसने मुझको धन, यश और
सम्मान दिया
उसका इसने अपमान किया
प्रेजेंट की जगह पर पास्ट
इसके फ्यूचर को गेट लोस्ट
जहां जाँच रही थी
कॉपी विज्ञान की
वहां बहस गर्म थी
छठे वेतनमान की
सरकार ने बनाया मूर्ख
सबकी आँखें हो गईं सुर्ख
ग्रेड पे तो दिया नहीं
झुनझुना पकड़ा दिया
इतनी कम तनखाह पर
कर दिया हमको फिक्स
ट्वेंटी नंबर के इस प्रश्न पर
यह लो पूरे सिक्स
टेबल पर कोमर्स की
अर्थ का था बोलबाला
मिस्टर शर्मा से
कह रहे थे मिस्टर काला
एक कॉपी के रूपये चार
इनका क्या डालूं आचार
अजीब है यह सरकार
कोर्से लगाया है सी.बी. एस.ई.
और पैसे देने में इतनी कंजूसी
एक घंटे में कॉपी देखूंगा पूरी सौ
हड़बडी में हुई गड़बडी
देने थे पंद्रह , नम्बर निकले केवल नौ
और जहाँ खुल रहा था इतिहास
क्या सुनाऊं उसकी बात
जांच रहे थे मिस्टर आदिनाथ
बोले -
कितना सुहाना ,था वो ज़माना
जब सेकंड आना
बात थी बड़े ही शान की
फर्स्ट जो आ गया कोई बरसों में
कथा न पूछो उसके अभिमान की
और आज अस्सी परसेंट
फिर भी बच्चे रहते टेंस
ये भी कोई बात हुई
जहाँ देने थे पूरे बीस
दस में ही अटक गयी सुई .....
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल हो जाने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokvichar.blogspot.com
vaki sahee chitran .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता कही आप ने, क्या सच मे ही ऎसा हो रहा है?
जवाब देंहटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंइस बुरे रिजेल्ट का असली कारण यह है,अब समझ आया।समस्या को सही पकड़ा है।बढिया लिखा है।बधाई।
जवाब देंहटाएंलो ये कारण है... हम तो समझे पेपर मुश्किल थे..:)
जवाब देंहटाएंवाह वाह! आनंदमय विश्लेषण!
जवाब देंहटाएंvah aapne bhut hi bariki se shikshko ke mnovigyan ko padha hai .
जवाब देंहटाएंaannd aa gya
badhai
बहुत सटीक विवेचन किया है आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हा हा
जवाब देंहटाएंनायाब विश्लेषण..आपने खास अंदाज़ में