बुधवार, 10 मई 2017

व्यंग्य की जुगलबंदी - 'कड़ी निंदा '


वे बन्दूक की गोली के सामान फुल स्पीड में आए | गुस्से से लबालब भरे हुए | मिसाइल की तरह मारक | तोप की तरह गरजने को तैयार | बम की तरह फटने को बेकरार |

''जब देखो तब कड़ी निंदा, भर्त्सना, विरोध | सुन - सुन कर कान पक गए हैं'' | 

''फिर क्या करना चाहिए उन्हें'' ?

''करना क्या है ? हमला करें सीधे - सीधे | युद्ध की घोषणा करें | मुंह छुपा कर कब तक बैठेंगे | कब तक सहते रहेंगे ? सहने की भी हद होती है | दुनिया थूक रही है हम पर | अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन यह देश हाथ से चला जाएगा | मुझे तो कहीं मुंह दिखाते शर्म आती है'' |

''लेकिन अभी तो आप मल्टीप्लेक्स से 'बाहुबली' देख कर आ रहे हैं कई लोगों ने आपका मुंह देख लिया होगा'' |

''देखिये बात को घुमाइए नहीं | आप ही बताइये कि कड़ी निंदा से क्या बिगड़ रहा है पाकिस्तान का'' ? 

''तो क्या करे सरकार ? विकल्प सुझाइये''| 

''युद्ध | हाँ ! अब यही एकमात्र विकल्प बचा है | पता नहीं इतनी देरी क्यों हो रही है ? युद्ध हो गया होता तो अभी तक तो फैसला हो भी गया होता'' | 

''युद्ध बहुत कड़ा शब्द नहीं हो गया'' ?

''नहीं बिलकुल नहीं | युद्ध से कम अब कुछ स्वीकार नहीं होगा, हमारे गोला बारूद किस दिन काम आएँगे ? कब से युद्ध भी नहीं हुआ है, मैं कहता हूँ कि बहुत जल्दी जंग लग जाएगा हमारे अस्त्र - शस्त्रों में | 

''लेकिन युद्ध से किसी समस्या का समाधान नहीं होता | युद्ध के बाद भी बातचीत करनी पड़ती है''|  

''न हो समाधान | कम से कम कलेजे पर ठंडक तो पड़ेगी | हमारे ही मर रहे हैं हमारे ही कट रहे हैं | उनके भी इतने ही मरने चाहिए तब जाकर मज़ा आएगा'' | 

''यह ठीक कहा आपने | मज़ा चाहिए दरअसल आपको'' | 

''मेरे कहने का वह मतलब नहीं है | मैं तो यह चाहता हूँ कि पकिस्तान को ज़ोरदार सबक सिखाना चाहिए | मैं अगर पी.एम. होता तो कबका हमला कर दिया होता'' | 

''तभी तो आप पी.एम.न हुए'' | 

''क्या मतलब'' ?

''कुछ नहीं | अच्छा यह बताइये कि आपके अंदर वीरता की भावना इतनी कूट - कूट कर भरी है | मुझे लगता है कि आपके घर में ज़रूर कोई फ़ौज में होगा'' | 

''नहीं जी | मेरे दादाजी बहुत बड़े ज़मींदार थे | पिताजी बैंक में थे | एक भाई एल.आई.सी.में है और दूसरा सरकारी विभाग में क्लर्क है''| 

''तब तो ज़रूर आपके बच्चे फ़ौज में जाना चाहते होंगे'' | 

''कैसी बात कर रही हैं आप? मेरा एक ही बेटा है | वह भला क्यों जाएगा फ़ौज में ? हाँ कभी - कभी कहता है लेकिन हम नहीं चाहते कि वह फ़ौज में जाए | एक बार उसने चुपके - चुपके फॉर्म भरा भी था लेकिन हमने उसका कॉल लेटर छुपा दिया था | उसे आज तक यह पता नहीं है कि कॉल लेटर क्यों नहीं आया | क्या कमी है उसके लिए ? उसे तो मैं इंजीनियर बनाऊंगा | मैंने उसके लिए बहुत सारा पैसा जमा कर रखा है | डोनेशन भी दे दूंगा'' |  
 
''आप अपने बेटे का कॉल लेटर छुपा सकते हैं और चाहते हैं कि किसी और के बेटे युद्ध करें और मारे जाएं ? फौजियों के परिवार नहीं होते क्या'' ?

''अजी उनका काम है देश की सेवा करना | जैसे हम देश के अंदर सेवाएं देते हैं, वैसे ही वे देश की सीमा पर अपनी सेवाएं देते हैं ''| 

''लेकिन आपके काम में जान का खतरा नहीं है'''| 

''अजी यह क्या बात हुई ? उनको उनकी जान का मोटा पैसा मिलता है | अभी हमारे ऑफिस में काम करने वाले चपरासी का बेटा शहीद हुआ है | मालूम है कितना पैसा मिला उनको''?

''कितना''?

''पूरे पचास लाख | साथ में पैट्रोल पम्प | बच्चे को सरकारी नौकरी | पढ़ाई मुफ्त | फ़ौज की नौकरी तो बहुत ही मज़े की है | ज़िंदगी भर कैंटीन की सुविधा | इलाज फ्री | वैसे वे करते भी क्या हैं ? साल भर तो मक्खी मारते हैं | फ्री की दारु उड़ाते हैं | मुर्गा खाते हैं | कभी - कभी ही तनाव के दिन होते हैं इनके | इनके तो मरने में भी लॉटरी लग जाती है''| 

''आप नहीं चाहते कि आपकी भी लॉटरी खुले ?आपके बेटे को भी इतना सब मिल जाता | आपने उसका कॉल लैटर छुपा कर ठीक नहीं किया | भेजना चाहिए था उसे फ़ौज में'' | 


''आपको इतनी तकलीफ क्यों हो रही है ? आपके घर में भी तो कोई नहीं है फ़ौज में''| 

''आप संजय को नहीं जानते होंगे''| 
''नहीं''|  
''आप प्रमोद को भी नहीं जानते होंगे''|  
''नहीं''|  
''ये हमारे स्कूल के बच्चे थे | इंटर पास करते ही फ़ौज में भर्ती हो गए थे | दोनों बहुत होशियार थे | प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण | घर से बेहद गरीब थे | सुबह - सुबह दस किलोमीटर की दौड़ लगाते थे | इंजीनियर बन सकते थे लेकिन घर में खाने के लिए बहुत मुश्किल से हो पाता था | एक दिन भर्ती में गए और चुन लिए गए | घर में खुशी की लहर | भरपेट खाने के लिए अन्न आने लगा | देखा - देखी गाँव के और लड़के भी तैयारी करने लगे | संजय पिछले साल शहीद हो गया | शादी हुए तीन ही महीने हुए थे उसके | गर्भवती थी उसकी पत्नी | आपके शब्दों में उसकी लॉटरी लग गयी थी | अब सारी ज़िन्दगी उसे एक विधवा के रूप में अपने बच्चे के साथ अकेले गुज़ारनी है | आपको पता नहीं होगा कि गाँव देहात में ऐसी ज़िंदगी गुज़ारना कितना मुश्किल होता है | दूसरा लड़का प्रमोद है | दुनिया भर की मनौतियों के बाद पैदा हुआ | छह बहिनों का इकलौता भाई | उसके पिता बहुत पहले ही शराब पी कर ख़त्म हो गए थे | आजकल उसके घर वालों की भी ऐसे ही बम्पर लॉटरी लगी है | उसकी माँ ने इस लॉटरी निकलने की खुशी में खाना - पीना छोड़ कर प्राण त्याग दिए | लोग लॉटरी निकलने पर तरह - तरह से मज़े उड़ाते हैं, और बताइये उन्होंने अपनी जान ही दे दी''| 

''आप तो देशद्रोहियों के जैसी बातें कर रही हैं | आपको शर्म आनी चाहिए | आपके जैसे लोगों को हिंदुस्तान में रहने का कोई हक नहीं है | मैं आपके`इस रवैये की कड़ी निंदा करता हूँ ''| 

''मैं आपके इस देशप्रेम की निंदा करती हूँ | और आपके इस युद्ध करने के शौक की कड़ी निंदा करती हूँ''|  


2 टिप्‍पणियां:


  1. ब्लॉग्गिंग के तमाम दिग्गजों ने अपने चेहरे किताबी कर लिए और आप अभी तक यहाँ टिकी है। आपके ब्लॉग्गिंग के जज्बे को सलाम करता हूँ।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-05-2017) को
    "लजाती भोर" (चर्चा अंक-2631)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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