सुषमा बनी पूतना
कांग्रेस हुई बुढ़िया
लालू जी जल्लाद
वरुण बाबा काटे हाथ
आडवानी गुलाम
मनमोहन पहलवान
नेता हैं ये चोट्टी के
इनके शब्द हैं जलते हुए अंगारे
जनता के लिए आचार संहिता
इनकी जीभ में भरे ज़हर के प्याले
क्यों नहीं लगते इनके मुँह में
मोटे अलीगढ़ के ताले ???
इन नेताओ के पास
जवाब देंहटाएंसभी तालों का है तोड़।
आप मजा लिजिए ,
देखिए गधों की दोड़।;)
सही कह रहे हैं बाली जी
जवाब देंहटाएंबावले गधों में लगी हुई है होड़
गाली देने में इनका नहीं है जोड़।
क्या नहीं हो सकता
इन नेताओं को कोढ़
बने हुए हैं ये ही सब
भारत के बदबूधारी कोण।
वो तालो बन्यो ही नहीं जो नेता मुंह फिट होय,
जवाब देंहटाएंपर जूते कई कंपनीन के , गर विन्पै फेंकनो होय .
इनके मुंह ताले से नही जूते से ही बंद होंगे।सटीक और सामयिक लिखा आपने।
जवाब देंहटाएंशेफाली जी!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही चित्रण किया है।
ताले हाथरस के हों या अलीगढ़ के ,
परन्तु ये ताले चोरों के लिए नही बने हैं।
इनकी तो जबान काट देना ही एक मात्र इलाज है।
सुन्दर व सटीक लिखा है।
बधाई।
भाषा तब अंगार है जब हो निकट चुनाव।
जवाब देंहटाएंवाकयुद्ध के बाद में दोस्ती का प्रस्ताव।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आपकी व्यंग्यात्मक रचनाओं का जवाब नहीं,
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक.....