साथियों .....अभी चुनाव ख़त्म नहीं हुए ....जब तक ये ख़त्म नहीं हो जाते ...बयानबाजियों का यह स्वर्णिम दौर जरी रहेगा ....और मेरी क्षणिकाओं का भी .....
मुझे अँधेरे में रखा गया था ......अ [कल्याण सिंह]
वो,
अँधेरे में बैठे बैठे ही
बढ़िया तीर
चला लेते हैं
तभी तो
उनके राज में
पार्टी वाले
देश की बत्ती
बुझा देते हैं ...
नेताओं की
जवाब देंहटाएंबत्ती
कब बुझेगी
जिस दिन जनता की बत्ती जलेगी
जवाब देंहटाएंनेताओं की उसी दिन बुझेगी
अब बिजली-बत्ती की कोई जरूरत नही।
जवाब देंहटाएंनेताओं ने लालटेन सम्भाल ली है।
बहुत खूब ,सुंदर ब्यंग .
जवाब देंहटाएंबढिया व्यंग्य है ..
जवाब देंहटाएंअच्छी क्षणिका है,
जवाब देंहटाएंमुलायम को कहीं कठोर न लगे.
- विजय
सटीक..बेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंवाह सटीक बात कही है आपने..!!
जवाब देंहटाएं