शुक्रवार, 15 मई 2009

क्यूँ जगाया वोटर को ???

साथियों ...कल के दिन का इंतज़ार हम सब पर भारी है ...ऐसे में मेरे मन ने भी नेता की तरह पाला बदल लिया  है ...चुनावी कविता लिखने के लिए कलम बेकरार हो उठी ...
 
 
क्यूँ जगाया वोटर को ???
 
हर कोई हमें
झिंझोड़ कर
उठा रहा था
जागो वोटर जागो
कहकर
चाय पे चाय
पिलाए जा
रहा था जबकि
खुदी हुई थी
खाई इधर
उधर गहरा
कुँआ था
या तो सांप को
या
नाग को चुनना था
पप्पू तो
आखिरकार
हमें ही बनना था
क्यूंकि
वो हम थे
जिसके पास
कोई विकल्प
नहीं बचा था
जबकि
इनके पास
खजाना खुला
हुआ था
 
कल क्या होगा ???
 
वो बताएँगे
कल
अपनी हार का कारण
कड़कती धूप
कम मतदान
वोटर का रुझान
और
उदासीनों का
वे क्या करते
श्रीमान
और आप हैं कि
अब भी पूछ रहे हैं  
कहाँ रहता है
भगवान् ???
 
 
 
 
 

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर....इन्तज़ार तो हम भी कर रहे हैं भले ही पप्पू बने हों.....
    मेरा नया ब्लाग जो बनारस के रचनाकारों पर आधारित है,जरूर देंखे...www.kaviaurkavita.blogspot.com

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  2. बहुत सही!! कल क्या होगा..!!!???

    'जब बोया पेड़ बबूल का,तो आम कहाँ से आये,
    अब उनकी बारी है आई,तो जनता जूते खाये.'

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  3. भई शेफाली जी आपकी कलम सच की आग उगलती है,
    पप्पू तो हम ही बनते हैं......सही कहा आपने

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  4. वाह ....जी .....वाह .....अब तो परिणाम भी आ गए

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  5. आ गए परिणाम
    बहुतों के लिए आम
    और कुछों के लोहे
    को भी पिघला गए
    हां जी, परिणाम
    आए आए
    अब पांच साल तक
    नहीं जायेंगे
    इसलिए सिर्फ आये हैं।

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  6. तो आपने पता बता दिया इन्हें क्या भगवान का?

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