लिस्ट
"इस बार सभी प्रकार के स्थानान्तरणों में पूर्णतः ईमानदारी बरती जा रही है. हम चाहते हैं कि हमारा सिस्टम एकदम पारदर्शी हो. पिछली सरकारों ने स्थानांतरण को एक व्यापार बना रखा था, परन्तु अब ऐसा नहीं होगा. हमने नवनियुक्त निदेशक से भी कह दिया है कि किसी भी प्रकार के दबाव में न आयें और पूरी ईमानदारी से अपना काम करें".
मंत्री जी ने अख़बारों में लंबे-लंबे बयान दिए. कर्मचारियों के मन में कुछ उम्मीद जगी. नवनियुक्त निदेशक ख़ुशी से फूला न समाया. पहली ही नियुक्ति में उसे अपनी ईमानदारी एवं कर्मठता को सिद्ध करने का मौका मिलेगा. घर आकर अपने बीमार पिता के पास आकर उसने अपनी ख़ुशी का इज़हार किया.
"पिताजी,देखना मैं कैसे इस भ्रष्ट विभाग को ठीक करता हूँ. मंत्री जी भी मेरे साथ हैं. उन्होंने कहा है कि मेरे काम में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा".
"अच्छा .....". पिताजी की आँखें आश्चर्य से फैल गयीं.
निदेशक ने प्रार्थनापत्रों की भली प्रकार जाँच करके एक अन्तिम लिस्ट तैयार कर ली. अगले ही दिन मंत्री जी ने उन्हें अपने ऑफिस में बुलवाया.
"सुना है स्थानांतरण लिस्ट बन गयी है, ज़रा दिखाएंगे".
"जी सर. आपके कथनानुसार पूरी ईमानदारी से लिस्ट बनाई है", कहकर उन्होंने लिस्ट मंत्री जी की ओर बढ़ा दी.
मंत्री जी एक नज़र लिस्ट पर दौड़ाई और एक किनारे कर दी. "ऐसा है महोदय, हमें अपने लोगों का भी ख्याल रखना पड़ता है. एक लिस्ट हमने भी बनाई है, यही फाइनल होगी. आप इस पर हस्ताक्षर कर दीजिये, इसे कल ही जारी करना है".
निदेशक को जैसे काठ मार गया हो. "परन्तु सर,........."
"किंतु, परन्तु मत लगाइए. आपको क्या फ़र्क पड़ता है, लिस्ट कोई सी भी हो."
"लेकिन ज़रूरतमंद लोग इस साल भी रह जायेंगे. उन्होंने इस साल बहुत उम्मीद लगा रखी है."
"देखिये श्रीमान, हमें पता है की आपके पिताजी बीमार हैं. माताजी भी स्वर्ग सिधार गई हैं. ख्वामखाह दूर किसी कोने में पटक दिए जायेंगे तो आपको बहुत परेशानी हो जायेगी. समझदारी इसी में है कि इसपर हस्ताक्षर कर दीजिये. मज़े से रहिये और हमें भी रहने दीजिये."
निदेशक महोदय ने काँपते हाथों से लिस्ट पर हस्ताक्षर कर दिए. उनकी आंखों के आगे कई चेहरे तैर गए, जो न जाने कितनी उम्मीदें लेकर उनके पास आए थे और जिनको उसने स्थानांतरण का पूरा आश्वासन दे रखा था.
लिस्ट जारी होने के बाद पूरे विभाग में यह ख़बर फ़ैल गयी कि मंत्री जी ने स्थानान्तरणों के मामले में पूरी पारदर्शिता एवं ईमानदारी बरती थी पर इस नवनियुक्त भ्रष्ट अफसर ने उनकी एक न सुनी और घूस खाकर सुविधाजनक स्थान लोगों को बाँट दिए
A great reality of our times
जवाब देंहटाएंहमारे प्रदेश मे लिस्ट जारी करने का सीज़न अभी शुरू हो रहा है।बहुत करारा तमाचा है ये आज की भ्रष्ट व्यवस्था पर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही तमाचा है व्यवस्था पर। आइना दिखाती है ये कहानी।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक और करारा लिखा है आपने. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut sahi....
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग्य
जवाब देंहटाएंवर्तमान का बहुत सटीक चित्रण .
जवाब देंहटाएं