तू वसुंधरा का महल
मैं नेपाल की राजशाही
तू प्रचंड कमल दहल
मैं कुप्पी मिट्टी तेल वाली
तू लुमिनस का इनवर्टर
मैं प्रायमरी का मिड डे मील
तू मेक्डोनाल्ड का टेस्टी बर्गर
मैं निरमा का वाशिंग पाउडर
तू सर्फ़ का अल्ट्रा व्हाइट
मैं पैदल यात्री बद्रीनाथ का
तू हवाई जहाज़ की सीधी फ्लाईट
मैं माँ के हाथ की सूखी रोटी
तू फाइव स्टार की तंदूरी
तू बंद पेकेट का कुरकुरा
मैं छत पर सूखी चावल की कचरी
मैं पानी महापालिका का
तू मिनरल वाली बिसलेरी
मैं घर के टूटे बेल का शरबत
तू कोला-पेप्सी सोडा वाली
तू बेंकट हौलों की शेहनाई
मैं गरीब मास्टर का टूशन
तू कोचिंग की अंधी कमाई
तू सावन की पहली बारिश
मैं उसके बाद की दीन दशा
मैं दक्षिणा वाला पंडित
तू पैकेज वाली पूजा
मैं पूजा-पाठ और वास्तु शास्त्र
तू फेंग शुई है चीन की
मैं बर्तन बाज़ार की टन-टन
तू चुप्पी है शोरूमों की
तू खबरी चैनेल की ब्रेकिंग न्यूज़
मैं दूरदर्शन का कृषि दर्शन
मैं यु.पी.बोर्ड की पढ़ाई
तू सी.बी.एस.ई.का पैटर्न
मैं बोर क्रिकेट फिफ्टी-फिफ्टी का
तू ट्वेंटी-ट्वेंटी का सम्मोहन
मैं लोकल कवि और शायर की रचना
वाह मज़ा आ गया
जवाब देंहटाएंअरे ये सस्ती कंहा है भई,ये तो अनमोल है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा.. धाकड़..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब बहुत ही बढ़िया और ये ब्रेकिंग न्यूज तो और भी बढ़िया साथ ही मैं बाजार पुराना हल्दवानी का .... बहुत बढ़िया.. तू सिटी सेंटर का जलवा बहुत खूब
जवाब देंहटाएंपढ़ने में मजा आया।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
काफी परेशानी के बाद टिप्पणी बॉक्स खुला । हो सकता है गड़बड़ मेरे ही ब्राउजर या सिस्टम की हो । फिर भी जाँच लें ।
जवाब देंहटाएंप्रविष्टि मजेदार है । धन्यवाद ।
अब तो मिड डे मील अच्छा बन रहा है .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....वैसे हल्द्वानी तो आना हुआ नहीं कभी, बस एक बार रुद्रपुर तक आया था....मगर फ़िर भी अपने पहाड़ों के सभी शहरों-कस्बों का माहौल एक जैसा होता है.....इसलिए समझ सकता हूँ.....
जवाब देंहटाएंसाभार
हमसफ़र यादों का.......
वाह!कितनी अच्छी अभिव्यक्ति दी है आप ने....
जवाब देंहटाएं.......कंचनलता चतुर्वेदी
पुसदकर जी ठीक तो कह रहे हैं.. जिस रचना को आप सस्ती कह रही हैं, वह अनमोल है। इसे पढ़कर आज के समय का यथार्थ आंखों के सामने फिल्म की रील की तरह चलने लगता है।
जवाब देंहटाएंजो हल्द्वानी से परिचित नहीं हैं, उनके लिए भी यह रचना उतनी ही अभिव्यंजक और बोधगम्य हैं।
अहा!
जवाब देंहटाएंविलक्षण रचना है ये तो....
अद्भुत काफ़िये और लाजवाब बिम्ब सारे के सारे