रविवार, 13 जनवरी 2013

कसाब का हिसाब

 ज़िंदगी के उलझे हुए गुणा -भाग का
हिसाब हल हो ही जाता है 
कठिन से कठिन सवाल का
जवाब आखिरकार मिल ही जाता है  ।
मान्यवरों, मना लो अपनी खैर
बचा लो अपनी जान,शहंशाहों 
कि  
तुलनात्मक अध्ययन के वास्ते
भारत में अब 
कसाब प्रयोग में आता है ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया क्षणिका है.
    पर, शीर्षक देख कर मैं कोई धांसू व्यंग्य पढ़ने की फिराक में आया था :)

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  2. आदर्शों का संकट आया,
    उसने एक कसाब बनाया।

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  3. कविता का बच्चा ही सही पर बिल्कुल सटीक लिखा है.

    रामराम.

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