रविवार, 13 अप्रैल 2014

राजनीति के रैम्प पे


 पैरोडी -------


राजनीति के रैम्प पे    

चलना संभल-संभल के  

ये स्टेज है तुम्हारा  

एक्टर तुम्हीं हो कल के । 

 

वोटर के ताने सहना 

और कुछ ना मुंह से कहना   

सिर को झुका-झुका के

गाली को सुनते रहना । 

 

रख दोगे एक दिन तुम

श्रीराम को कमल पे । 

 

साइकिल कोई चलाए

या राह में हाथी आए

देखो कमल तुम्हारा

हरगिज़ न मुरझा पाए । 

 

युवराज जो रोके रास्ता

चलना राह बदल के । 

 

मोदी के सिर पे           

दिल्ली का ताज रखना

दल को बदल जो आए

दरवाज़ा खुला रखना । 

 

गोटी नई बिछेगी

मोदी बिसात चलके । [मास्टरनी] 

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