सोमवार, 17 अप्रैल 2017

व्यंग्य की जुगलबंदी -28


व्यंग्य की जुगलबंदी -28 
मूर्खता -----------------------------
मूर्खता का समाजशास्त्रीय अध्ययन------- 
मूर्खता के अपने - अपने प्रतिमान हैं | मूर्खता कब होशियारी मे बदल जाए और होशियारी कब मूर्खता में गिनी जाने लग जाए, कहा नहीं जा सकता जा | 
इन दोनों को देखिये | इनके माता - पिता ने जिसको पसंद किया इन्होने आँख मूंदकर शादी कर ली | दोनों ने मूर्खों की तरह ने ज़िंदगी भर घर - गृहस्थी में खुद को झोंक दिया | बच्चे पैदा किये | उन्हें पढ़ाया - लिखाया | काबिल बनाया | इस औरत ने शादी के बाद नौकरी छोड़ी और पूरा समय बच्चों की परवरिश की | अपने लिए कुछ सोचने  का मौका इन दोनों को मिला ही नहीं | अब ये बूढ़े हो गए हैं | इनकी इच्छा है कि दोनों बच्चों की शादी करके गंगा नहा लें | इन्हें नहीं पता कि समय कितना बदल गया है | लड़की ने साफ़ - साफ़ मना कर दिया है कि उसके लिए लड़का कतई न ढूँढा जाय | वह अपनी माँ की तरह शादी करके मूर्खता नहीं करेगी | जब तक उसका मन करेगा वह लिव इन में रहेगी, उसके बाद मन हुआ तो कोई बच्चा अनाथालय से गोद ले लेगी वरना ऐसी ज़िंदगी भी कोई बुरी नहीं | 
इनका इकलौता बेटा भी कुछ ऐसे ही विचार रखता है | शादी - विवाह की मूर्खता में वह विश्वास नहीं रखता |  माँ - बाप की मूर्खता को वह नहीं दोहराएगा | शादी का नाम सुनते ही उसे करंट लग जाता है | शादी करके रोज़ झगड़ा करने से अच्छा तो वह अपनी गर्लफ्रेंड के साथ खुश है | गर्लफ्रेंड, जो किसी और की पत्नी है, लेकिन खुश इसके साथ है | लड़के का कहना है कि वह पैंतालीस साल के बाद सेरोगेसी से बाप बनेगा | माता - पिता से उसका आग्रह है कि वे पोता - पोती को गोदी में खिलाने की मूर्खता वाला सपना देखना छोड़ दें | 

इस मूर्ख आदमी ने सारी उम्र ईमानदारी से काम किया | किराए के मकान में उम्र काट दी | अपनी झोंपड़ी तक नहीं बनवा पाया | पहली तारीख के इंतज़ार में जीवन गुज़ार दिया | लड़कियों की शादी भारी क़र्ज़ लेकर करी | सारा फंड लड़के को सैटल करने में लगा दिया | तमाम तरह के कोर्स करने के बाद लड़के को बहुत मुश्किल से एक मामूली नौकरी मिल सकी | किसी तरह से लड़के का गुजर - बसर चल रहा है | यह होशियार बेटा बात - बात पर बाप की मूर्खता को पानी पी - पी कर कोसता है और उनके सिद्धांतों को लानत भेजता है | 
इस मूर्ख आदमी की जगह पर जो नौकरी पर आया है वह तो लगता है कि पैदा ही होशियार हुआ था | सरकारी नौकरी में तनख्वाह को छूना उसकी नज़र में मूर्खता है | वह मानता है कि किराये के मकान में तो गधे रहते हैं | तनख्वाह की रकम से ज़रुरत मंदों को भारी ब्याज पर क़र्ज़ देता है | दो बेटे हैं, दोनों को इंटर नेशनल स्कूल में डाल रखा है | हफ्ते में एक दिन सपरिवार बाहर खाना खाता है | इसके परिवार को सुखी परिवार की श्रेणी में रखा जा सकता है |  

यह देखिये इस मंद बुद्धि डॉक्टर को | इसने सारी उम्र मरीज़ों की सेवा करी | अच्छे से अच्छा इलाज मुहैया करवाया | रात को भी इमरजेंसी में मरीज़ों को देखता था | इसको देख लेने मात्र से मरीज़ आधे ठीक हो जाते थे | इसने फीस भी इतनी ही रखी थी जिससे क्लीनिक का खर्चा चल जाए | क्लीनिक हाईटेक न होकर के साधारण सा एक कमरा था, जिसमें दो कुर्सियां ,एक मेज़ और एक सीलिंग फैन लगा हुआ था | सैम्पल की दवाएं मुफ्त में बाँट देता था | इसने कभी मरीज़ या उसके घरवालों को धोखे में नहीं रखा | जिसके बचने की उम्मीद होती थी उसके पीछे पूरा इलाज झोंक देता था और जिसके बचने की उम्मीद नहीं होती उसे साफ़ लफ़्ज़ों में मना कर देता था | एक दिन ऐसे ही साफ़ लफ़्ज़ों में स्थिति बताने पर मरीज़ के घरवालों ने इसके हाथ - पैर तोड़ दिए | अब यह चलने - फिरने से लाचार बिस्तर पर पड़ा रहता है और बीबी - बच्चों की हिकारत से भरी नज़रों को रात - दिन झेलता है | 
इस विशेषज्ञ डॉक्टर को भी देखिये | यह मरीज़ों को सम्मोहित कर देता है | मरीज़ बुखार का इलाज़ करवाने आता है और यह मीठी - मीठी बातें करके उनके सारे टेस्ट करवा लेता है | ई.सी.जी.,एक्स रे, किडनी, लीवर, हार्ट सबकी जाँच करवाने के बाद ही साँस लेता है | इसके क्लीनिक की साज- सज्जा पाँच सितारा होटल को मात देती है | मरीज ए. सी. का लुत्फ़ उठाता है जिसका बिल उसी की जेब से जाता है | इस अक्लमंद डॉक्टर की पूरी कोशिश रहती है कि मरीज़ को छींक भी आए तो उसे अस्पताल में दो दिन एडमिट किये बिना जाने न दिया जाए | मरीजों की जेब खाली करवाकर उसने अपना छोटा सा क्लीनिक चौमंजिला अस्पताल में बदल दिया है | अगर मरीज लाते - लाते मर जाता है तब भी वह चार दिन तक उस डेड बॉडी को वेंटिलेटर पर रखता है और लाखों रूपये वसूल करके ही परिजनों को सौंपता है | चप्पे - चप्पे पर सुरक्षा - गार्ड तैनात होने से कोई चूं भी नहीं कर पाता | 

यह देखिये इस मूर्खाधिराज वकील को | यह अपने मुवक्किलों की मुकदमा निपटाने में हर संभव मदद करता है | ऐढी - चोटी का ज़ोर लगाकर न्याय दिलवाता है | जल्दी से जल्दी केस का निपटारा हो जाए यह उसकी वकालत का मकसद है | इसने कभी गलत लोगों के और झूठे लोगों के केस नहीं लिए | लोगों को लगता है कि यह फ़र्ज़ी वकील है वरना इतनी जल्दी मुकदमा कहाँ निपटता है ? लोग इसके पास आने से कतराते हैं | जो आते भी हैं वे फीस नहीं देते | देते भी हैं तो कई किस्तों में | 
और एक इस चतुर वकील को देखिये | इसने ईमानदार होने की मूर्खता काला कोट पहनने के साथ ही त्याग दी थी | जिस अपराधी का केस कोई नहीं लड़ता मसलन रेप या मर्डर, उसे यह दोगुनी खुशी से लड़ता है | अक्सर यह वादी और प्रतिवादी दोनों को झांसे में रखता है | दोनों तरफ से उगाही करता है, और केस को जितना लंबा हो सके, खींचता है | 
यह देखिये इस नेता को | अभी हुए चुनावों में यह महामूर्ख साबित हो चुका है | यह जनता के बीच जाता है | समस्याएं सुनता है | यथासंभव सुलझाने का प्रयत्न करता है | कई बार दिन - रात भी एक कर देता है | बहुत परिश्रम से इसने क्षेत्र में अपना जनाधार बनाया था | पांच साल दौड़ - भाग करके सबके काम किये | यह अपनी जीत के प्रति सौ प्रतिशत आश्वस्त था | चुनाव परिणाम आया तो इसकी जमानत तक जब्त हो गयी | 
और इस घाघ को देखिये | यह कभी अपने चुनावी क्षेत्र का दौरा नहीं करता | किसी का काम इसने कभी किया हो ऐसा किसी की जुबां से नहीं सुनाई पड़ा | यह मात्र मीठी - मीठी बातें करता है | इसकी खासियत है कि कभी किसी काम के लिए इंकार नहीं करता, लेकिन काम भी कभी नहीं करता | शादी - विवाह, दुकान का उद्घाटन, मेला, सर्कस, सत्संग, रामलीला, भागवत हो या रोज़ा अफ्तार, सभी जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है और लोगों के साथ खूब सेल्फी खिंचवाता है | चुनावी सभा जब हो तो इसके आंसू ऐसे टपकते हैं जैसे सारे जहाँ का दर्द इसके जिगर में आ गया हो | इस बार के चुनावों में रिकॉर्ड मतों से जीतने का रिकॉर्ड इसीके खाते में दर्ज़ है | 

इस छात्र पर गौर फरमाइए | यह मूर्खता का जीता - जागता सबूत है | यह सारी रात जाग कर पढ़ाई करता है | इसकी आँखों में मोटा चश्मा इसी का परिणाम है | इसने वर्षपर्यंत जी भर कर मेहनत करी | कभी नशा नहीं किया | सिगरेट नहीं पी | हर दिन नोट्स बनाये | जहाँ ज़रुरत पडी, रट्टा भी लगाया | कठिन सवालों को हल करने के लिए अध्यापकों के आगे - पीछे चक्कर काटे | कई रफ कॉपियां भर दी | जब रिज़ल्ट आया तो इसका रोल नंबर नहीं था | यह फेल हो गया था | 
एक तरफ यह विद्वान छात्र है | इसने साल भर किताब नहीं खरीदी | रोज़ क्लास गोल करता था | लड़कियों को लव - लैटर लिखता था | टीचरों की नक़ल उड़ाता था | कॉपी बनाने का तो इसने सपने में भी सोचा | इसने सिर्फ एक दिन मेहनत करी वह दिन था परीक्षा का | परीक्षा में पूरा पेपर इसने सुन्दर लेख में तीन बार उतार दिया | इसने हर विषय की कॉपी में पास करने की कारुणिक अपील के साथ सौ का एक नोट नत्थी किया | यह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गया है | 

इस मूर्ख अध्यापक पर नज़र दौड़ाइए | यह ज़िंदगी भर कक्षा में गला फाड़ता रह गया | चॉक से लिख - लिख कर इसका अंगूठा घिस गया | विद्यालय के बच्चों को अपने बच्चों की तरह मानता था | उसके अपने बच्चे किस कक्षा में हैं, कोई पूछता तो उसे घर फोन करके अपनी पत्नी से पूछना पड़ता था | विद्यार्थियों के लिए लिए इम्पोर्टेन्ट प्रश्नों को छाँटता था | उत्तर बनाता था | फोटोस्टेट करके सबको बांटता था | परीक्षा से पंद्रह दिन पहले स्कूल में ही अपना डेरा कर लेता था और बच्चों को कई - कई बार परीक्षा का अभ्यास करवाता था | जब परीक्षा परिणाम घोषित हुआ तो इसके विषय में रिज़ल्ट इतना कम आया कि इसको अपने उच्चाधिकारियों को स्पष्टीकरण देना पड़ा | 
इस दूरदर्शी अध्यापक को भी देख लीजिये | इसने नौकरी लगने के बाद शायद ही किताब खोली हो | ब्लैक - बोर्ड से तो कोई पुरानी दुश्मनी है इसकी | विद्यार्थियों से गप - शप मारता है, उनके व्यक्तिगत मामलों में दिलचस्पी लेता है | चुटकुले सुनाता है | अध्यापकी उसके लिए वह बोझ है जिसे उठाना उसकी मजबूरी है ताकि उसके बच्चे इंजीनियर या डॉक्टर बन सकें | इसके विषय में रिज़ल्ट सौ प्रतिशत रहता है | बच्चे अपनी फ़िक्र से मेहनत करते हैं | हर वर्ष यह सर्वश्रेष्ठ अध्यापक का पुरस्कार ले जाता है | 

यह कवि है | मूर्ख शिरोमणि | इसकी उम्र बीत गयी कलम घिसते - घिसते | इसकी कविताएं बहुत गहरा असर करती हैं | उनमे नए - नए बिम्ब हैं | ताज़गी है | विषय की विविधता है | शब्दों की खूबसूरती है | मधुर एहसास हैं | प्रेम है | भाव हैं | लेखन के आलावा भी कोई दुनिया है यह नहीं जानता | इसने लिखने के लिए नौकरी का त्याग किया तो इसकी पत्नी ने भी इसका त्याग कर दिया | इसका खाना - पीना बमुश्किल ही चल पाता है | कई बार दोस्तों पर निर्भर रहता है तो कई बार खाली पेट ही सो जाता है | 
यह एक महान कवि है | यह रात - दिन चुटकुलों का अभ्यास करता है | अश्लील चुटकुले सुनाने में स्टेण्ड अप कॉमेडियनों को पीछे छोड़ देता है | जुगाड़ लगाकर महीने के दस कवि सम्मेलन बना ही लेता है | कभी ज़िंदगी में उसने चार कविताएं लिखीं थीं वो भी इधर - उधर से चुरा कर | उन्हीं चार कविताओं को गा - गाकर देश - दुनिया का चक्कर लगा आता है | अच्छी - खासी नौकरी छोड़ दी | आना - जाना हवाई जहाज से, पांच सितारा होटल में रहना, आते समय लाख का लिफ़ाफ़ा और एक आध प्रेमिकाएं हर दौरे में बन जाती है | वह लिखने वालों को मूर्ख न कहे तो और क्या कहे ?  

इस बेवकूफ पत्रकार को ही देख लीजिये | ज़िंदगी भर सच का दामन थामे रहा | कई लोग लालच देते थे पर इसकी कलम ने कोई समझौता नहीं किया | निष्पक्षता इसका जीवन मन्त्र रहा | घटिया प्रकाशन सामग्री से परहेज किया | आज यह फटेहाल और बदहाल है | बैंक में बैलेंस नहीं | समाज में इज़्ज़त नहीं | झोला लटकाए जब शाम को अपने घर लौटता है तो कमाऊ पत्नी आधा घंटा ताना मारने के बाद भोजन परोसती है जिसे वह अपमान के घूंट पीकर निगल लेता है |   
इस अक्लमंद पत्रकार पर नज़र डालिये ! इसकी पत्रकारिता में चाटुकारिता का अद्भुद मिश्रण है | हर पार्टी का खासमखास है | गुपचुप दलाली करता है | ब्लैकमेलिंग में भी इसका नाम आता है | अवैध संबंधों की खबर इतनी चटपटे तरीके से परोसता है कि पाठक बेसब्री से अखबार का इंतज़ार करते हैं | यह जिस अखबार से जुड़ता है, उसे जल्दी ही क्षेत्र का नंबर वन बना देता है | तंत्र - मन्त्र, अंधविश्वास, नंगी तस्वीरें, सेक्स स्केंडल को ढूंढकर लाने में अपनी पूरी प्रतिभा झोंक देता है | यह बँगला इसने अपनी इसी प्रतिभा की बदौलत खड़ा किया है |  

इस मूर्ख अभिनेत्री को भी देख लीजिये | अभिनय के भरोसे रह गयी | हर फिल्म में बढ़िया, दमदार अभिनय किया | एक - आध राष्ट्रीय पुरस्कार भी हाथ लगा | तमाम उम्र अपने अभिनय को सुधारने में लगी रही | अंग - प्रदर्शन के नाम पर नाक - भौं सिकोड़ती रही | आज इसके खाते में न फिल्म है न पैसे | कभी - कभार टी. वी. पर छोटा - मोटा काम मिल जाता है जिससे इसके घर का चूल्हा जल पाता है | 
इस बुद्धिमती अभिनेत्री ने बस अभिनय ही नहीं किया | अंग प्रदर्शन के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए | किसिंग सीन, बेड सीन स्विम सूट इसके मनपसंद दृश्य होते थे | आज देखो हर टॉप का हीरो इसके साथ फिल्म करने के लिए लालायित है | अगले दस साल तक की सारी तारीखें बुक हैं | हॉलीवुड इसके लिए बाहें फैलाए खड़ा है | कमाई का हिसाब तो पूछिए ही मत | वरना आप बेहोश हो सकते हैं |   

तो साहब ! मूर्खता का अपना अलग दर्शन है | अपनी परिभाषा है और अपनी व्याख्या हैं | समय, काल परिस्थिति के अनुसार सन्दर्भ बदलते रहते हैं | जो आज मूर्ख कहलाता है कल के दिन उसे बुद्धिमानी का खिताब मिल सकता है और जो आज बुद्धिमानी का ताज पहने हैं, कल के दिन महा मूर्ख घोषित हो सकते हैं | 
    

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर। मूर्खों के समझ में आने वाला उनका अपना दर्शन। दर्शन कराने के लिये आभार।

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