"तुम सब फ़ेल हो जाओ".....मास्साब सोमनाथ चटर्जी
कहाँ कहाँ की ठोकर खाई
कौन से द्वारे माथ न टेका
कितनी तगड़ी घूस खिलाई
छोड़ी हँसिया, चूमा हाथ
दस जनपथ की धूल
लगाई अपने माथ
तब कहीं जाकर के खुशियाँ छाईं
निगोड़ी कुर्सी हाथ में आई
छोटे-छोटे इन बच्चों ने
उधम खूब मचाया
घर बाहर के दंगों में
हुडदंग खूब मचाया
पहली बार स्कूल देखा
मास्टर जी को खूब रुलाया
क्लास में न कोई वर्क किया
खोली न घर में कभी किताब
अगले माह बोर्ड परीक्षा
कैसे होंगे बच्चे पास ?
सोच सोच कर यह सब
दुखी हुए सोमनाथ
इसीलिए जीभ से फिसल गया
खो दिया अपना आप
अनजाने में निकल गया
मुँह से ऐसा श्राप ............ शेफाली