शनिवार, 31 दिसंबर 2011

छोटा सा यह एक झरोखा, पेश है साल का लेखा - जोखा

छोटा सा यह एक झरोखा, पेश है साल का लेखा - जोखा

जनता के अन्नाने का साल, कांग्रेस के भन्नाने का साल |

टीम अन्ना का का जन लोकपाल, हर कीमत पर रोकपाल | 

भ्रष्टाचार के खिलाफ जिसने ताना टेंट, संघ का कहलाए एजेंट |
 
यू पी के चार टुकड़े, बहिनजी ने रोए दुखड़े |

बहुजन हिताय, करोड़ों का पार्क बनवाए |

सर्वजन सुखाय, खुद की मूरत पर माला चढ़ाए |

जीते सुशील ने पाँच करोड़, चेक अभी मिला नहीं, मांगने वालों की होड़ |

किंगफिशर को घाटा भारी,  कलेंडर गर्ल्स उदास बेचारी |

फार्मूला रेस वन,  ट्रेक पर कुत्तों का फन | 

वी.आई.पीओं का नया ठिकाना,  लेडी गागा ने गाया गाना |

अपराधी नेता हुए,  नेता अपराधी,  मची तिहाड़ में आपाधापी |

अंगूर निकले बेहद खट्टे,  एक थैली में आ गए चट्टे - बट्टे |

यू पी वालों !  कब तक मांगोगे तुम भीख | 

घुस कर घरों में मेरी तरह,  मुफ्त का खाना सीख |

विश्व  कप पर मिला कब्जा, रहे सलामत ऐसा जज्बा |

नंगई और गाली - गलौच,  बिग बॉस में भरी है फ़ौज |

मर्द से कम नहीं औरत,  पोर्न स्टार ने बटोरी शोहरत |

कभी मिलन कभी जुदाई, फिर गले मिले अम्बानी भाई |

सोशल नेटवर्किंग पर बैन,  कपिल सिब्बल का छिन गया चैन |

पड़ गए नरम चिदंबरम, प्रणव का पारा गरम |

टी.वी. से हो गई नफरत, चैनल - चैनल दिग्गी सूरत |

रामदेव ने बचाई जान,  प्राणायाम ना आया काम |

औरत का धर कर रूप, लीला दिखाई खूब | 

 सी. डी. ने मचाया तूफ़ान, सरकार हुई हलकान |

फंस गया भंवर में देखो, म्हारो प्यारो राजस्थान | 

चमचों को मिला सम्मान, डिक्शनरी में जुड़ गया नाम  |

नाक में नली, हाथ में सुई, दो दिन के मेहमान |

शुक्ल जी को मिल गया ज्ञानपीठ सम्मान |

घटती बढ़ती पेट्रोल की कीमत,  कारों ने कर रखी है आफत |

खुमैनी, मुबारक और गद्दाफी, मिली नहीं जनता की माफ़ी  |

एबटाबाद में ढेर ओसामा, सीधा प्रसारण देखें ओबामा |

फुस्स ज़रदारी, गिलानी, कियानी, छाई रही तो बस हिना रब्बानी |

सीमा  पर है टेंशन, फिर भी मोस्ट फेवर्ड नेशन |

वाल स्ट्रीट पर आक्रोश,  महाशक्ति का उड़ गया होश |

भूकंप से जापान थर्राया, फिर भी तनिक ना घबराया | 

रीटेल की रेलम पेल, वॉल मार्ट की ठेलम ठेल |

कोई तरकीब काम ना आई, हाय महंगाई हाय महंगाई | 

रथ यात्रा, पद यात्रा, मौन व्रत, उपवास |

अपनी अपनी ढपली, अपना अपना राग |

बीमारों के बने काल,  अपराधियों के बने ढाल |

मर रहे बच्चे आए दिन, रो रहा पश्चिम बंगाल |

योजना आयोग का जलजला, मचा आंकड़ों पर हल्ला |

जिसकी धुन पर जनता वारी, धनुष ने गाया कोलावारी  |

रख कर हाथ खाते हम झूठी सौगंध, रूस में उस गीता पर प्रतिबन्ध |

हुसैन, हजारिका, जगजीत, देव का अवसान, कला के क्षेत्र में भारी नुकसान |  

सन् दो हज़ार ग्यारह, चंद पलों में हो जाएगा नौ दो ग्यारह |

दिल से मेरे दुआ ये निकले, दो हज़ार बारह में हो जाए सबकी पौ बारह  |
 



शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

कोई अन्ना को समझाओ कि.....


भ्रष्टाचारी की विशेषताएँ ........


भ्रष्टाचारी विनम्रता की प्रतिमूर्ति होता है ............... उसकी वाणी में मिठास घुली रहती है | चेहरे पर सदा मुस्कान खिली रहती है | उसे किसी किस्म के आर्ट ऑफ़ लिविंग में जाने की आवश्यकता महसूस नहीं होती | इसके विपरीत ईमानदार अधिकारी शांति की तलाश में भटकता रहता है, इस गुरु और उस गुरु की शरण में जाने पर भी उसके चित्त को शांति नहीं मिलती

 

भ्रष्टाचारी जनमानस के लिए सदैव उपलब्ध रहता है ...........ईमानदार अधिकारी ना फ़ोन पर उपलब्ध रहते हैं ना घर पर मिलते हैं | जबरन  घर में चले जाने पर पूजाघर में या बाथरूम में पाए जाते हैं | जबकि भ्रष्टाचारी, भ्रष्टाचार की ही तरह सदैव उपलब्ध रहता है कभी आगंतुकों से मुँह नहीं छिपाता |  मिलने के लिए उसे इस तरह के टुच्चे बहाने बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती  | 

 

भ्रष्टाचारी अगले जन्म की परवाह नहीं करता .....ईमानदारों को जहाँ अपने अगले जन्म की परवाह होती है, अक्सर वे ये कहते पाए जाते हैं '' आखिर भगवान् को भी मुँह दिखाना है'', '' वह सब देख रहा है''  वहीं भ्रष्टाचारी अपने अगले जन्म की परवाह नहीं करता है | ईर्ष्यालु लोग लोग  उसके  अगले  जन्म  में  साँप - बिच्छू, कीड़ा - मकौड़ा इत्यादि बनने की कामना करते रहते हैं, लेकिन वह अपने पथ से विमुख नहीं होता

 

भ्रष्टाचारी कभी किसी काम के लिए इनकार नहीं करता .....वह सदैव यह कहता पाया जाता है '' हो जाएगा'', ''हम हैं तो किस बात की फ़िक्र , आप निश्चिन्त होकर जाइए '' इसके विपरीत ईमानदार सदैव इस प्रकार के रटे - रटाए प्राचीन काल से चले आ रहे काम ना करने के बहाने बनाएगा '' यह नियमविरुद्ध है '', बहुत मुश्किल काम है '', ''कोशिश करेंगे '', अव्वल तो एप्लीकेशन पकड़ने से ही इन्कार कर देंगे अगर रख भी लेगा भी तो बहुत एहसान के साथ कि  '' रख जाइये देखते हैं क्या होता है'' या ''हमारे हाथ में कुछ नहीं है '' |

 

भ्रष्टाचारी किसी से ईर्ष्या नहीं करता ..........उसके दिल में सबके लिए प्रेम भरा रहता है |  इसके विपरीत ईमानदार सदैव कुंठा का शिकार रहता है | वह खुद खा नहीं पाता इस कारण खाने वालों को फूटी आँख नहीं देख पाता और अक्सर इनकम टैक्स वालों से शिकायत करता है या आर. टी. आई. के अंतर्गत सूचनाएं मंगवाता रहता है |

 

भ्रष्टाचारी स्वागत सत्कार में निपुण होता  है ..........वह ना केवल स्वागत करेगा वरन चाय व नाश्ता भी करवाता है | उसकी अनुपस्थिति में उसके बीबी - बच्चे ड्राइंग रूम में बिठा कर  आपका स्वागत करते हैं और उनके आने का इंतज़ार करने के लिए कहते हैं ईमानदार अधिकारी स्वागत तो दूर रहा आपको पानी के लिए भी नहीं पूछेगा इस तरह के आदमी अपने बीबी बच्चों को हड़का के रखता है मजाल है कि कोई उसके यहाँ किसी को बैठने के लिए कहा जाए | हाथ में मिठाई या फल इत्यादि देख लेने पर वह गुस्से में लाल पीला हो जाता है | कभी लालच में बीबी ने मिठाई का डिब्बा अन्दर रख लिया तो वह पहले तो बीबी की सात पुश्तों का श्राद्ध  करता है उसके बाद मिठाई  लाने वाले की | बेचारी मिठाई सबसे महंगी दुकान की होने के बावजूद सड़क के कुत्ते के पेट में जाती है |

 

भ्रष्टाचारी लोकप्रिय  होता है.............भ्रष्टाचारी अपने समाज व रिश्तेदारी में बहुत लोकप्रिय होता है | आने जाने वालों का आदर सत्कार करता है | उसके घर में आप दूर - दराज से आए रिश्तेदारों या बरसों पुराने मित्रों को देख सकते हैं | वहीं ईमानदार हमेशा इस आशंका से ग्रस्त रहता है कि कहीं आगंतुक उससे किसी काम के लिए ना कह दे, इस डर से वह अपने सगे रिश्तेदारों को भी पहचानने से इनकार कर देता है यहाँ तक कि वह किसी को अपना मोबाइल न. तक नहीं देता | लोग आश्चर्य करते हैं लेकिन वह इस हाई टेक ज़माने में यह तक कहने की हिम्मत रखता है कि '' मैं मोबाइल नहीं रखता ''| अगर किसी को न. दे भी दे तो बेकार है क्यूंकि वह फोन उठाता ही नहीं है |

 

 भ्रष्टाचारी  के अधीनस्थ कर्मचारी प्रसन्न रहते हैं ............भ्रष्टाचारी के अधीनस्थ कर्मचारी उसे देव तुल्य मानते हैं | वह जानता है कि कोरी  तनखा से जब उसकी गुज़र नहीं होती तो बेचारे कर्मचारियों की क्या होगी | इसके लिए वह चपरासी से लेकर हर छोटे बड़े अफसर का कमीशन फिट कर देता है | उसके हर छोटे व बड़े काम चुटकियों में हो जाते हैं |  इसके विपरीत एक ईमानदार आदमी के लिए सारा स्टाफ दुश्मन हो जाता है | उसके अधीनस्थ कर्मचारियों के चेहरे पर तनाव झलकता रहता है | वे सदैव आशंकित रहते हैं कि कब किसकी खाट खड़ी हो जाए | यहाँ जॉब सेटिस्फेक्शन का नितांत अभाव पाया जाता है | यही कारण है कि सेवानिवृत्त होने के कई सालों तक उसकी पेंशन और फंड रोज़ चक्कर काटने के बाद भी नहीं मिलते

 

भ्रष्टाचारी  सहनशील, धैर्यवान एवं कर्तव्यपरायण होता है ............ भ्रष्टाचारी आम जनता की गालियाँ भी हँसते हँसते सहन कर लेता है | उसे कभी ईमानदार अधिकारी की तरह ज़रा ज़रा सी बात पर  भड़कते हुए नहीं देखा जाता | उसके जैसा कर्तव्यपरायण ढूँढने से भी नहीं मिल सकता | एक बार जिस काम के लिए पैसे ले लिए उसे वह हर हाल में पूरा करके ही छोड़ता है, चाहे इसके लिए उसे कितनी ही जिल्लत या दिक्कत क्यूँ ना उठानी पड़े

 

 भ्रष्टाचारी के अन्दर  भ्रातत्व की भावना होती है ......भ्रष्टाचारी अधिकारी  कितने ही बड़े पद पर क्यूँ ना हो, कभी किसी पर अपना रूआब नहीं डालता | इसके विपरीत ईमानदार अधिकारी सदैव दूरी बनाए रखता है भ्रष्टाचारी जुगाड़ लेकर आने वालों का भी सम्मान करता है |  ईमानदार आदमी अपने एकमात्र गुण ईमानदारी की आड़ में किसी को कुछ भी कहने में संकोच नहीं करता | वह अपने अलावा सारी दुनिया को भ्रष्ट मानता है | उसे सारी दुनिया ही अपनी दुश्मन मालूम पड़ती है

 

भ्रष्टाचारी  का घर परिवार सुखी एवं संतुष्ट रहता है ...........भ्रष्टाचारी की पत्नी, बच्चे, माँ एवं बाप उससे सदा प्रसन्न रहते हैं | उनके चेहरों से सुख व संतुष्टि छलकती रहती है | माता पिता का आशीर्वाद उसके साथ रहता है, पत्नी प्रेम करती है और बच्चे आज्ञाकारी होते हैं |  उसके घर में विभिन प्रकार के पूजा - पाठ, जप तप चलते रहते हैं, जिसके फलस्वरूप दुश्मन उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते | मोटी दक्षिणा मिलने के कारण पंडित भी उनके घर में पूर्ण मनोयोग से पूजा संबंधी कार्य संपन्न करवाते हैं | इसके विपरीत  ईमानदार आदमी के घर में सदैव कलहपूर्ण वातावरण रहता है | उसके माता - पिता कभी तीर्थ यात्रा पर नहीं जा पाते | पत्नी किटी पार्टियों में शामिल नहीं हो पाती | बच्चे ढंग की जगह से शिक्षा नहीं ले पाते | मोटा डोनेशन ना दे पाने के अभाव में ऊँचे कॉलेजों में उनका दाखिला नहीं हो पाता | फलतः सालों तक सरकारी नौकरी की आस में चप्पलें घिसते रहते हैं, और बाप की ईमानदारी को पानी पी - पी कर कोसते  हैं

 

समाज के सच्चे सेवक होते हैं ..........भ्रष्टाचारी दान देने में अग्रणी होता है | शहर की कई संस्थाओं को वह मुक्त हस्त से दान दिया करता है | उसके द्वार पर आने वाला कोई साधु, संत या भिखारी खाली हाथ नहीं जाता | ईमानदार अधिकारी जहाँ  मांगने वालों को देखते ही कुत्ता खोल देता है, या सहेज कर रखी गई चवन्नियां और अठन्नियां भिड़ा देता है,  भ्रष्टाचारी अपने पर्स का मुँह खोल देता है | मांगने वाला उसे ढेरों आशीर्वाद और ईमानदार को गालियाँ देकर उसके दरवाज़े पर थूक भी जाता है |

 

सदैव हँसते - मुस्कुराते पाए जाते हैं .............भ्रष्टाचारी हर परिस्थिति में प्रसन्न रहता है | ईमानदार आदमी की हमेशा भवें तनी रहती हैं | मुस्कान कोसों दूर रहती है | तनाव से उसका चोली - दमन का साथ रहता है | रात को नींद की गोली ही उसे सुला सकती है |  वह दुनिया से दुखी मालूम पड़ता है | मुस्कुराकर बात कर लेने भर से उसे यह खटका लगा रहता है कि कहीं उसे किसी का काम ना करना पड़ जाए |

 

त्याग की प्रतिमूर्ति होता है ...........भ्रष्टाचारी सदैव अपने घरवालों के लिए भ्रष्टाचार का मार्ग अपनाता है | स्वयं से अधिक बीबी  और बच्चों के भले के लिए सोचता है | अपने नाम पर वह नाम - मात्र की धन और संपत्ति रखता है, बाकी सारी दौलत पत्नी के नाम कर देता है | ईर्ष्यालु वाले लोग कहते हैं कि वह इनकम - टेक्स बचाने के लिए ऐसा करता है | काम करने के लिए वह अपनी बदनामी की परवाह नहीं करता ईमानदार कहता है '' मैं किसी के लिए अपनी नौकरी को दांव पर नहीं लगा सकता'' लेकिन भ्रष्टाचारी आपका काम किसी भी कीमत पर करने के लिए अपनी नौकरी तक दांव पर लगा सकता  है

 

इसीलिये साथियों  हमें भ्रष्टाचार को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए, भ्रष्टाचारी को नहीं क्यूंकि अगर समाज से भ्रष्टाचारी विलुप्त हो जाएगा तो गंभीर परिणाम होंगे

रविवार, 4 दिसंबर 2011

खुदरा या खुरदुरा व्यापार ....

खुदरा या खुरदुरा व्यापार 
 
साथियों, अर्थशास्त्रीय विश्लेषणों और राजनैतिक  हलचलों और से दूर वालमार्ट इत्यादि विभिन्न प्रकार के बाजारों  के सम्बन्ध में मेरे दिमाग में कुछ  सवाल घूम रहे हैं  | क्या मेरे चंद सवालों का जवाब किसी के पास है ?  
 
क्या वालमार्ट हम महिलाओं की मोलभाव वाली भावनाओं में  निवेश करेगा ?
 
''भाईसाहब, कित्ते का दिया ?'' 
''बाप रे बाप इत्ता महंगा !'' 
''कुछ तो रहम करो''
''ऑटो और रिक्शे के लिए तो छोड़ दो''
''मेरे पास इत्ते ही पैसे बचे हैं''
क्या वहाँ पर्स उलटकर सुबूत तक दे डालने  की  सुविधा होगी ? और क्या वालमार्ट पर्स के अन्दर की जेबों को चेक किये बिना इस पर सहज विश्वास कर लेगा ?
 
 बिलिंग करवाते समय  जुबानी तौर पर एम्. आर. पी. से पचास रूपये कम करवाने की, फिर बिल जोड़ते समय  बीस रूपये और कम करवाने की, अंत में भी दस रूपये कम देने की सुविधा प्रदान करेगा वालमार्ट ?  
 
 हमारे बरसों से चले आ रहे खानदानी कार्ड स्वैप  हो पाएँगे जिसके अंतर्गत  आज भी कई बुज़ुर्ग दुकानदार ऐसे हैं जो शक्ल देखते ही पहचान जाते  हैं और अन्य ग्राहकों को गर्व से बताते हैं......
 ''सबसे पहले  इनकी नानी की शादी में, फिर इनकी  माँ की शादी में,  और फिर इनकी शादी में यहीं से सामान गया था ''| इनकी दुकान के बेटे और नौकर सब आपको पहचानते हैं | यहाँ बस आपको पड़ोस की दुकान का थैला सफाई से छुपाना पड़ता है |  इस प्रकार की दुकानों में पैसे कम करवाने के लिए एक शब्द भी नहीं कहना पड़ता |  बस उधारी का खाता होने के कारण यहाँ  आपको बरसों पुराना सड़ा  - गला माल दिखाया जाता है,  वह भी सारे ग्राहकों को तसल्ली से निपटाने के बाद  | आपके पास  खून के घूँट पीकर हँसते - हँसते अपनी बारी का इंतज़ार करने के सिवा कोई चारा नहीं बचता |
यहाँ एक दूसरे की मजबूरी को भली प्रकार समझा जाता है |
 
 वहाँ ''आज नकद कल उधार'' या 'उधार प्रेम की कैंची है' बड़े - बड़े शब्दों में  लिखा होने पर भी आपको बहुत प्यार से उधार मिल जाएगा ?  जिसे  हम सुविधानुसार मनमाफिक किस्तों में अपनी जेबानुसार दो चार सालों में  चुका सकें | 
 
क्या वालमार्ट  में इस तरह के दृश्य दिखाई देंगे ?
 ''नई नमकीन आई है बहिनजी, ज़रा चख कर देखिये, आप बार - बार मांगेंगी''
''जा पप्पू दौड़ कर गोदाम से बहिनजी के पसंद के बिस्किट लेकर आ,  अभी दो मिनट में आ रहा है'' कहकर घंटे भर तक कोई बिठाए रखेगा ? इस दौरान वैष्णो देवी की यात्रा के किस्से सुनाकर वहाँ का प्रसाद और माता का का फोटो  देगा ?
 
 क्या वालमार्ट में  ''भाई साहब, ज़रा झोला दुकान में रख लीजिये, बस दो मिनट में आती हूँ '' कहकर मुख्य बाज़ार में रहने वाली दोस्त के घर चाय पीने जाया जा सकता है  ? 
 
 क्या मेरे सब्जी वाले की तरह  वालमार्ट के फ्रेश स्टोर वाला  पचास रूपये की सब्जी लेने पर पाँच रूपये की मिर्च और धनिया मुफ्त में थैले में डाल देगा ?   ''बहिनजी अगर कद्दू ख़राब निकले तो कल पकी - पकाई सब्जी वापिस पटक देना'' कहकर सब्जी की गारंटी लेगा |   

''कहीं बासी तो नहीं है'' शंका मात्र व्यक्त करने पर तुरंत फल के ठेले वाला चाकू लेकर अनार के दो टुकड़े कर के हथेली पर रख देगा ? 
 
 पहली पहली  बार वालमार्ट में  जाने पर  ''रोज़ तो यहीं से ले जाते हैं भैय्या, आज आप ऐसी बात कर रहे हैं, लगता है पहचान नहीं रहे हैं''
''हम तो जबसे इस शहर में आए हैं, और किसी दुकान में जाते ही नहीं हैं'' हम कोई आज के ग्राहक थोड़े ही हैं '', कहने पर वहाँ  आसानी से विश्वास कर लिया जाएगा ?
 
 क्या वालमार्ट सारी बाज़ार में घूम कर साड़ियों के दाम पता करके आने वाले मेरे जैसे हर ग्राहक को उसकी विशिष्टता का एहसास  कराएगा ?
 ''हम जानते हैं बहिनजी ! आप कहीं और जा ही नहीं सकती, पूरी बाज़ार में सबसे सस्ती और अच्छी साड़ी आपको और कहीं नहीं मिलेगी   ''
'' किसी से कहियेगा मत, ये दाम सिर्फ़ आपके लिए लगा रहा हूँ , आप पुरानी ग्राहक हैं इसलिए ''| 
''आपकी पसंद सबसे अलग होती है, जो सिर्फ़ हमको पता है''
'' ये साड़ियाँ आपके लायक नहीं हैं, मंगलवार को आइयेगा, नया माल आने वाला है''   
 
क्या वालमार्ट में कोई  पाँच सौ रुपयों तक के कपड़े खरीदने पर  चाय और दो हज़ार के कपड़े खरीदने पर  कोल्ड ड्रिंक पिलाएगा ? हमारे हाथों में ज्यादा सामान  हो जाने पर सड़क तक जाकर रिक्शा बुलाने की जहमत उठाएगा ? कार में बैठे होने की दशा में सड़क से हाथों के इशारे को समझ कर ब्रेड का पैकेट उठा कर खिड़की से पकड़ा देगा ?
 
 क्या वहाँ यह कहकर  कोई हमारे ज्ञान चक्षु खोलेगा ........
 '' बहिनजी हमारा  तो सिद्धांत है कि कस्टमर एक बार आए तो  बार - बार आए''
''गलत पैसा नहीं मांग रहे हैं'' 
'' बहुत कम मार्जिन मिलता है बहिनजी, बिलकुल ना के बराबर''   
बगल में रेट चिपकाने वाले मशीन रखकर बड़े ही एहसान से कहेगा '' एम्. आर. पी. देख लीजिये, आपको बीस परसेंट डिस्काउंट दे रहा हूँ ''  |
''ये चप्पल आपने कितने की लीं ? 
हमारी दुकान से ली होती तो  पच्चीस रूपये कम में मिल जातीं , आप ठगी गईं ''
''लगता है डुप्लीकेट पर्स भिड़ा दिया आपको | आगे से बढ़िया पर्स खरीदने  हों तो मेरे भाई की दुकान पर जाइए | ये रहा कार्ड | कल ही ओपनिंग हुई है , मेरा नाम ले लीजियेगा , पाँच प्रतिशत  डिस्काउंट  मिल जाएगा'' |
 
 क्या कभी  वालमार्ट में  ज्यादा भीड़ होने की स्थिति में  काउंटर पर सौ रूपये का नोट देने पर जल्दीबाजी में पाँच सौ रूपये के छुट्टे वापिस होंगे  |
 
 क्या वालमार्ट में इस तरह के अपनेपन का एहसास होगा ? 
 ''बहुत दिनों बाद दिखाई दीं'' |
''आजकल तो आपने आना ही छोड़ दिया'' |
 ''आपकी अपनी दुकान है, चाहे जब बदल लेना'' 
''पैसे कहीं भागे थोड़े ही जा रहे हैं ''
''कम हैं तो अगली बार दे देना''
''ना आप कहीं जा रहे हो ना हम " 
'' घुटने का दर्द कैसा है ?'' 
 
 वहाँ '' क्या भैय्या, कैसी दाल दी थी, घुन ही घुन भरे थे '', कहकर बिनाबिल दिखाए दाल वापसी की सुविधा होगी ?
 
 पड़ोस की शादी में एक दिन पहिनकर,  टैग को वापिस लगाकर, ''कुरते का साइज़ छोटा निकला'' कहकर वालमार्ट में वापिस ले  लिया जाएगा ?
 
 क्या वालमार्ट एक फ़ोन करने से राशन - पानी घर पहुंचा जाएगा ? हमारे घर के लिए किरायेदार और कामवालियां बताएगा ? नए आने वालों को घर के पते के विषय में जानकारी देगा ?

 बुखार या सिर दर्द होने पर डिस्प्रिन मांगने के लिए रात - बेरात पड़ोस की दुकान की भाँति वालमार्ट का दरवाज़ा खटखटाया जा सकेगा ? अपने  पड़ोस की दुकान के  दुकानदार के झल्लाए हुए उनींदे चेहरे को हमने सदा अनदेखा किया और डिस्प्रिन की मामूली गोली को  हिसाब में लिख लेना'' कहकर लम्बे समय के लिए भूल गए जिसका भुगतान बार - बार याद दिलाने पर किया गया, वह भी इस शंका के साथ कि कहीं झूठ तो नहीं बोल रहा |
 
'' हमारे वो आप ही की तरह लम्बे चौड़े हैं, आप ही बताइए भाईसाहब कौन सी साइज़ की कमीज़ ठीक रहेगी ?  भाईसाहब ज़रा ये वाली शर्ट पहिन कर दिखाइए '' क्या वालमार्ट में कोई बीस - पच्चीस कमीजें खुशी - खुशी पहिनकर दिखाएगा ?
 
अगर वालमार्ट इत्यादियों में उपरोक्त सभी सुविधाएँ मिलेंगी तो भारत भूमि पर इनका तहे - दिल से स्वागत है|