शनिवार, 31 दिसंबर 2011
छोटा सा यह एक झरोखा, पेश है साल का लेखा - जोखा
शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011
कोई अन्ना को समझाओ कि.....
भ्रष्टाचारी की विशेषताएँ ........
भ्रष्टाचारी विनम्रता की प्रतिमूर्ति होता है ............... उसकी वाणी में मिठास घुली रहती है | चेहरे पर सदा मुस्कान खिली रहती है | उसे किसी किस्म के आर्ट ऑफ़ लिविंग में जाने की आवश्यकता महसूस नहीं होती | इसके विपरीत ईमानदार अधिकारी शांति की तलाश में भटकता रहता है, इस गुरु और उस गुरु की शरण में जाने पर भी उसके चित्त को शांति नहीं मिलती |
भ्रष्टाचारी जनमानस के लिए सदैव उपलब्ध रहता है ...........ईमानदार अधिकारी ना फ़ोन पर उपलब्ध रहते हैं ना घर पर मिलते हैं | जबरन घर में चले जाने पर पूजाघर में या बाथरूम में पाए जाते हैं | जबकि भ्रष्टाचारी, भ्रष्टाचार की ही तरह सदैव उपलब्ध रहता है कभी आगंतुकों से मुँह नहीं छिपाता | मिलने के लिए उसे इस तरह के टुच्चे बहाने बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती |
भ्रष्टाचारी अगले जन्म की परवाह नहीं करता .....ईमानदारों को जहाँ अपने अगले जन्म की परवाह होती है, अक्सर वे ये कहते पाए जाते हैं '' आखिर भगवान् को भी मुँह दिखाना है'', '' वह सब देख रहा है'' वहीं भ्रष्टाचारी अपने अगले जन्म की परवाह नहीं करता है | ईर्ष्यालु लोग लोग उसके अगले जन्म में साँप - बिच्छू, कीड़ा - मकौड़ा इत्यादि बनने की कामना करते रहते हैं, लेकिन वह अपने पथ से विमुख नहीं होता |
भ्रष्टाचारी कभी किसी काम के लिए इनकार नहीं करता .....वह सदैव यह कहता पाया जाता है '' हो जाएगा'', ''हम हैं तो किस बात की फ़िक्र , आप निश्चिन्त होकर जाइए '' इसके विपरीत ईमानदार सदैव इस प्रकार के रटे - रटाए प्राचीन काल से चले आ रहे काम ना करने के बहाने बनाएगा '' यह नियमविरुद्ध है '', बहुत मुश्किल काम है '', ''कोशिश करेंगे '', अव्वल तो एप्लीकेशन पकड़ने से ही इन्कार कर देंगे अगर रख भी लेगा भी तो बहुत एहसान के साथ कि '' रख जाइये देखते हैं क्या होता है'' या ''हमारे हाथ में कुछ नहीं है '' |
भ्रष्टाचारी किसी से ईर्ष्या नहीं करता ..........उसके दिल में सबके लिए प्रेम भरा रहता है | इसके विपरीत ईमानदार सदैव कुंठा का शिकार रहता है | वह खुद खा नहीं पाता इस कारण खाने वालों को फूटी आँख नहीं देख पाता और अक्सर इनकम टैक्स वालों से शिकायत करता है या आर. टी. आई. के अंतर्गत सूचनाएं मंगवाता रहता है |
भ्रष्टाचारी स्वागत सत्कार में निपुण होता है ..........वह ना केवल स्वागत करेगा वरन चाय व नाश्ता भी करवाता है | उसकी अनुपस्थिति में उसके बीबी - बच्चे ड्राइंग रूम में बिठा कर आपका स्वागत करते हैं और उनके आने का इंतज़ार करने के लिए कहते हैं | ईमानदार अधिकारी स्वागत तो दूर रहा आपको पानी के लिए भी नहीं पूछेगा | इस तरह के आदमी अपने बीबी बच्चों को हड़का के रखता है मजाल है कि कोई उसके यहाँ किसी को बैठने के लिए कहा जाए | हाथ में मिठाई या फल इत्यादि देख लेने पर वह गुस्से में लाल पीला हो जाता है | कभी लालच में बीबी ने मिठाई का डिब्बा अन्दर रख लिया तो वह पहले तो बीबी की सात पुश्तों का श्राद्ध करता है उसके बाद मिठाई लाने वाले की | बेचारी मिठाई सबसे महंगी दुकान की होने के बावजूद सड़क के कुत्ते के पेट में जाती है |
भ्रष्टाचारी लोकप्रिय होता है.............भ्रष्टाचारी अपने समाज व रिश्तेदारी में बहुत लोकप्रिय होता है | आने जाने वालों का आदर सत्कार करता है | उसके घर में आप दूर - दराज से आए रिश्तेदारों या बरसों पुराने मित्रों को देख सकते हैं | वहीं ईमानदार हमेशा इस आशंका से ग्रस्त रहता है कि कहीं आगंतुक उससे किसी काम के लिए ना कह दे, इस डर से वह अपने सगे रिश्तेदारों को भी पहचानने से इनकार कर देता है | यहाँ तक कि वह किसी को अपना मोबाइल न. तक नहीं देता | लोग आश्चर्य करते हैं लेकिन वह इस हाई टेक ज़माने में यह तक कहने की हिम्मत रखता है कि '' मैं मोबाइल नहीं रखता ''| अगर किसी को न. दे भी दे तो बेकार है क्यूंकि वह फोन उठाता ही नहीं है |
भ्रष्टाचारी के अधीनस्थ कर्मचारी प्रसन्न रहते हैं ............भ्रष्टाचारी के अधीनस्थ कर्मचारी उसे देव तुल्य मानते हैं | वह जानता है कि कोरी तनखा से जब उसकी गुज़र नहीं होती तो बेचारे कर्मचारियों की क्या होगी | इसके लिए वह चपरासी से लेकर हर छोटे बड़े अफसर का कमीशन फिट कर देता है | उसके हर छोटे व बड़े काम चुटकियों में हो जाते हैं | इसके विपरीत एक ईमानदार आदमी के लिए सारा स्टाफ दुश्मन हो जाता है | उसके अधीनस्थ कर्मचारियों के चेहरे पर तनाव झलकता रहता है | वे सदैव आशंकित रहते हैं कि कब किसकी खाट खड़ी हो जाए | यहाँ जॉब सेटिस्फेक्शन का नितांत अभाव पाया जाता है | यही कारण है कि सेवानिवृत्त होने के कई सालों तक उसकी पेंशन और फंड रोज़ चक्कर काटने के बाद भी नहीं मिलते |
भ्रष्टाचारी सहनशील, धैर्यवान एवं कर्तव्यपरायण होता है ............ भ्रष्टाचारी आम जनता की गालियाँ भी हँसते हँसते सहन कर लेता है | उसे कभी ईमानदार अधिकारी की तरह ज़रा ज़रा सी बात पर भड़कते हुए नहीं देखा जाता | उसके जैसा कर्तव्यपरायण ढूँढने से भी नहीं मिल सकता | एक बार जिस काम के लिए पैसे ले लिए उसे वह हर हाल में पूरा करके ही छोड़ता है, चाहे इसके लिए उसे कितनी ही जिल्लत या दिक्कत क्यूँ ना उठानी पड़े |
भ्रष्टाचारी के अन्दर भ्रातत्व की भावना होती है ......भ्रष्टाचारी अधिकारी कितने ही बड़े पद पर क्यूँ ना हो, कभी किसी पर अपना रूआब नहीं डालता | इसके विपरीत ईमानदार अधिकारी सदैव दूरी बनाए रखता है | भ्रष्टाचारी जुगाड़ लेकर आने वालों का भी सम्मान करता है | ईमानदार आदमी अपने एकमात्र गुण ईमानदारी की आड़ में किसी को कुछ भी कहने में संकोच नहीं करता | वह अपने अलावा सारी दुनिया को भ्रष्ट मानता है | उसे सारी दुनिया ही अपनी दुश्मन मालूम पड़ती है |
भ्रष्टाचारी का घर परिवार सुखी एवं संतुष्ट रहता है ...........भ्रष्टाचारी की पत्नी, बच्चे, माँ एवं बाप उससे सदा प्रसन्न रहते हैं | उनके चेहरों से सुख व संतुष्टि छलकती रहती है | माता पिता का आशीर्वाद उसके साथ रहता है, पत्नी प्रेम करती है और बच्चे आज्ञाकारी होते हैं | उसके घर में विभिन प्रकार के पूजा - पाठ, जप तप चलते रहते हैं, जिसके फलस्वरूप दुश्मन उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते | मोटी दक्षिणा मिलने के कारण पंडित भी उनके घर में पूर्ण मनोयोग से पूजा संबंधी कार्य संपन्न करवाते हैं | इसके विपरीत ईमानदार आदमी के घर में सदैव कलहपूर्ण वातावरण रहता है | उसके माता - पिता कभी तीर्थ यात्रा पर नहीं जा पाते | पत्नी किटी पार्टियों में शामिल नहीं हो पाती | बच्चे ढंग की जगह से शिक्षा नहीं ले पाते | मोटा डोनेशन ना दे पाने के अभाव में ऊँचे कॉलेजों में उनका दाखिला नहीं हो पाता | फलतः सालों तक सरकारी नौकरी की आस में चप्पलें घिसते रहते हैं, और बाप की ईमानदारी को पानी पी - पी कर कोसते हैं |
समाज के सच्चे सेवक होते हैं ..........भ्रष्टाचारी दान देने में अग्रणी होता है | शहर की कई संस्थाओं को वह मुक्त हस्त से दान दिया करता है | उसके द्वार पर आने वाला कोई साधु, संत या भिखारी खाली हाथ नहीं जाता | ईमानदार अधिकारी जहाँ मांगने वालों को देखते ही कुत्ता खोल देता है, या सहेज कर रखी गई चवन्नियां और अठन्नियां भिड़ा देता है, भ्रष्टाचारी अपने पर्स का मुँह खोल देता है | मांगने वाला उसे ढेरों आशीर्वाद और ईमानदार को गालियाँ देकर उसके दरवाज़े पर थूक भी जाता है |
सदैव हँसते - मुस्कुराते पाए जाते हैं .............भ्रष्टाचारी हर परिस्थिति में प्रसन्न रहता है | ईमानदार आदमी की हमेशा भवें तनी रहती हैं | मुस्कान कोसों दूर रहती है | तनाव से उसका चोली - दमन का साथ रहता है | रात को नींद की गोली ही उसे सुला सकती है | वह दुनिया से दुखी मालूम पड़ता है | मुस्कुराकर बात कर लेने भर से उसे यह खटका लगा रहता है कि कहीं उसे किसी का काम ना करना पड़ जाए |
त्याग की प्रतिमूर्ति होता है ...........भ्रष्टाचारी सदैव अपने घरवालों के लिए भ्रष्टाचार का मार्ग अपनाता है | स्वयं से अधिक बीबी और बच्चों के भले के लिए सोचता है | अपने नाम पर वह नाम - मात्र की धन और संपत्ति रखता है, बाकी सारी दौलत पत्नी के नाम कर देता है | ईर्ष्यालु वाले लोग कहते हैं कि वह इनकम - टेक्स बचाने के लिए ऐसा करता है | काम करने के लिए वह अपनी बदनामी की परवाह नहीं करता | ईमानदार कहता है '' मैं किसी के लिए अपनी नौकरी को दांव पर नहीं लगा सकता'' लेकिन भ्रष्टाचारी आपका काम किसी भी कीमत पर करने के लिए अपनी नौकरी तक दांव पर लगा सकता है |
इसीलिये साथियों हमें भ्रष्टाचार को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए, भ्रष्टाचारी को नहीं क्यूंकि अगर समाज से भ्रष्टाचारी विलुप्त हो जाएगा तो गंभीर परिणाम होंगे |