साथियों .....अभी चुनाव ख़त्म नहीं हुए ....जब तक ये ख़त्म नहीं हो जाते ...बयानबाजियों का यह स्वर्णिम दौर जरी रहेगा ....और मेरी क्षणिकाओं का भी .....
मुझे अँधेरे में रखा गया था ......अ [कल्याण सिंह]
वो,
अँधेरे में बैठे बैठे ही
बढ़िया तीर
चला लेते हैं
तभी तो
उनके राज में
पार्टी वाले
देश की बत्ती
बुझा देते हैं ...