बुधवार, 1 जुलाई 2009

क्षणिकाएं .......

किसी के
बारिश की
टूट गयी
सारी हदों से, 
तो , 
किसी के
बाढ़ राहत
कोष के लिए 
आई  
करोणों की
मददों से
 इस बार फिर से
छप्पर फट गए
कृपा पानी की
नर से इस तरह
वे नारायण हो गए ...
 
 
आम बजट ........
 
वह
जो बनता है
तो आम के लिए है
लेकिन उसको
ख़ास चूस जाता है
आम के लिए बस
गुठली ही छोड़
जाता है
आम बजट
कहलाता है ......