प्रस्तुत है कोरोना पर कविता, श्रोताओं की भारी डिमांड पर -
इस कोरोना काल में
महामारी के जाल में
नित नई फरमाइशें हैं
नित नई ख्वाहिशें हैं |
सुबह को खाने हैं समोसे
दिन को मीठी - मीठी खीर
शाम को गर्मागर्म पकौड़े
रात को शाही पनीर |
सबसे ज़्यादा टूटा है
महिलाओं पर इसका कहर
बीत रहे रसोई में दिन
रसोई में ही बीते सहर |
दुनिया से हो गयी हूँ आइसोलेट
हूँ रसोई में कवारंटीन
पैर पडूँ तुम्हारे कोरोना
जाओ तुम वापिस अपने चीन |