कुंभ में मची भगदड़ / दतिया में कुचले गए निर्दोष / किसको देंगे दोष / अंध - विश्वास / अंध - भक्ति / अंध भीड़ के रेले / जानलेवा हैं ये ज़िंदगी के मेले ।
हैलिकॉप्टरों की खरीद पर जम कर हुई दलाली / जल, थल पर मचा के धूम / वायु पर भी छा गए भ्रष्टाचारी ।
भांजा बेटिकट चढ़ गया / मामा जी का टिकट कट गया / बकरे की बलि बेकार गयी / रेल पटरी से उतर गयी ।
जेल में पहुंच गया टुंडा / अफ़ज़ल को गुप - चुप फांसी पर टंटा / बलात्कारियों को फांसी हुई / मानवाधिकारियों को खांसी हुई ।
केदारनाथ हो गया तबाह / भगवान् की लग गयी आह / खोदा पहाड़ / निकला इंसान / पर्यटन या तीर्थाटन / अब तो जागो शासन -प्रशासन ।
जग सारा छान लिया / उनका लोहा मान लिया / हाथ रह गए खाली के खाली / मिल न सकी कहीं भी / पांच और बारह रूपये की थाली ।
सुशासन की दिख गयी सूरत / भगवान् की थे मूरत / भोले - भाले / मन के सच्चे / मिड डे मील से मर गए बच्चे ।
फिक्सिंग का साया / बुकियों की देखो माया / अंदर हो गए बड़े - बड़े / फ़िल्मी सितारे भी धरे गए ।
प्याज ने रुलाया / टमाटर ने खून खौलाया / सब्जियों ने दूरी बनाई / रूपये ने छुई नई ऊंचाई / इस वर्ष भी टॉप पर रही महंगाई ।
मुजफ्फरनगर में दंगे / ज़रा सी बात पर खून - खराबा / ठण्ड से मर गए बच्चे / मिलती कहाँ से राहत / मौतों पर भी हुई सियासत ।
भेस में साधु के छिपा रहा शैतान / हाय ! कलयुगी भगवान / भक्त भौंचक्के रह गए / ठगे - ठगे से रह गए / बाप पकड़ में आ गया / बेटा छक कर भी छका गया ।
कैसा समय ये आ गया मौला / महिलाओं से डर गए अब्दुल्ला / जस्टिस गांगुली और तेजपाल / छिपे पड़े हैं अभी नामालूम / कितने और गुदड़ी के लाल ।
सचिन ने सन्यास लिया / क्रिकेट को निर्विवाद जिया / नम हो गयी सबकी आँखें / पत्थर दिल तक पिघल गया / भारत - रत्न पर विवाद गहराया / भूला - बिसरा ध्यानचंद फिर याद आया ।
समोसे में आलू / जेल में लालू / चारा - लालू / लालू - चारा / अब निभेगा भाईचारा / मेरे तो बस ग्वाल - बाल दूसरो न कोय / सारे जग में राहुल सा कोई दूजा ना होय ।
आरुषि को इन्साफ मिला / माता - पिता ही निकले कातिल / क्या अनपढ़ क्या पढ़ा पढ़ा - लिखा / सब तरफ ऑनर किलिंग का रूप दिखा ।
रैलियों की आंधी / मोदी चाय ने काट ली चांदी / फेंकू बनाम शहज़ादा / ज़ुबानी जंग ज्यादा से ज़्यादा / विकास की किसको पड़ी / सामने है चुनाव की घड़ी ।
एक की मुट्ठी में माँ के आंसू / दिल में दादीजी की आस / दूसरे की मुट्ठी में सारे जहाँ का भूगोल और इतिहास ।
फाड़ दिया दागियों वाला अध्यादेश / अपनी ही पार्टी को दे दिया कड़ा सन्देश / कोई कहे ड्रामेबाज़ी / कोई कहे धोखेबाज़ी / मियां बीबी हों जब राज़ी / तब क्या कर लेगा काज़ी ।
कड़े कदम / कड़े शब्द / कड़ा विरोध / कड़ी निंदा / कड़ी कार्यवाही / कुछ ज्य़ादा हो गई ये कड़ - कड़ मेरे भाई ।
अमेरिका की दादागिरी / देवयानी की किरकिरी / कहीं मालकिन सेर रही / कहीं नौकरानी सवा सेर रही / नौकर की भी शामत आई / राघव जी ने हवालात की हवा खाई ।
काला धन और स्विस बैंक का जुमला / रामदेव पर मुकदमों से हमला / कपाल भांति और प्राणायाम का कारोबार / चुभ रहा आँखों में बाबा जी का व्यापार ।
विदेश से एलिस मुनरो को नोबेल / देश से राजेन्द्र यादव गुज़र गए / पानी पी - पी कर कोसने वाले वाले / पल भर को सहसा ठिठक गए ।
गाली - गलौच / मार - पीट / जेल - बेल / हाथा - पाई के देखे जौहर / बिग बॉस में जीती गौहर / महिलाओं का दबदबा कायम रहा / हर जगह बॉस हैं वे / इसमें न कोई संदेह रहा ।
अनशन में फिर बैठे अन्ना / तुरंत पास हुआ लोकपाल / भागते भूत का लंगोट मिला / चुप रहने से जोक भला / अन्ना जी संतुष्ट हुए / केजरीवाल रुष्ट दिखे ।
लाल बत्ती रही नहीं / ये लाल किसके / रूखे - सूखे से दिख रहे / ये कंगाल किसके / अब कौन भला पूछेगा इनको / मंत्री हो या अफसर / सूने - सूने से हैं भाल सबके ।
एग्जिट पोल पर लगी रोक / नोटा बटन का प्रयोग हुआ / कहीं सुयोग कहीं दुर्योग रहा / अदभुद यह संयोग रहा ।
लिव इन नहीं फूलों की सेज / समलैंगिकों पर फंस गया पेच / छेड़ - छाड़ पर कानून बना / फाख्ता हुए दबंगों के होश / बेनकाब हो गए कई सफेदपोश ।
यू.पी. / उन्नाव / डौंडियाखेड़ा / सपने सुहाने / सबने सच माने / महीने भर की खुदाई / दावे सारे हवा - हवाई / सरकार की जग - हंसाई ।
लौह पुरुष पर छिड़ गयी जंग / सबसे बड़ी प्रतिमा का अब दिखेगा रंग / हर घर से लोहा जाएगा / पैदल भी दौड़ाया जाएगा / पार्टियां पेश कर रहीं अपने दावे / गांधी, नेहरू और न सुहावे / बस वल्लभभाई मन को भावे ।
ईमानदारी की बात जंच गयी / ''आप'' की धूम देश भर में मच गई / आम आदमी की बंदगी / झाड़ू ने बुहारी गंदगी / बत्तीस वाली हुई किनारे / अट्ठाइस का तमाशा देखें दिल्ली वाले ।
सारी समस्याएं सुलझ जाएं / चमत्कार एक ही दिन में हो जाए / कुछ ऐसा करें केजरी / उधर खड़े होकर चुटकी बजाएं / इधर सतयुग के साथ रामराज्य फ्री में आ जाए ।
हार के बाद हुआ मंथन / मंथन से निकला हलालहल / हलाहल पीकर सब बोले / इस शर्मनाक हार के हम हैं वास्तविक अपराधी / सब मिलकर बोलो 'देश की माँ है सोनिया गांधी'' ।
क्लीन चिटों की हरी - भरी बगिया / भांति - भांति के फूल बंटे / इसको दे, उसको दे / जिसको नहीं मिली उसके दिल में शूल उठे ।
सार्थक फिल्मों को मिले नहीं दर्शक / निरर्थक फिल्मों ने की खूब कमाई / सौ, दो सौ, पांच सौ करोड़ / मायानगरी में छिड़ गयी होड़ / जिसका कोई सिर पैर नहीं / वह सबके सिरमौर रही ।
कोयला घोटाले की फाइलें हो गईं अंतर्ध्यान / मंगल पर जीवन की खोज कर रहा विज्ञान / मोबाइल ज़रूरी या शौचालय / राई - रत्ती सा मुद्दा बार - बार बना हिमालय ।
संजय दत्त हवालात में पहुँच गए / प्राण, फारुख , मन्ना दा गुज़र गए / ऑस्कर तक जाते - जाते / फिर से कदम ठहर गए ।
स्टिंग ऑपरेशन ने बटोरे दर्शक / मौन रहा बाथेपुर का नरसंहार / सूर्यनेल्लि का बलात्कार / टी.आर.पी. का श्रेष्ठ उदहारण / बहसवीरों का हर चैनल पर निर्बाध रहा प्रसारण ।
फेसबुक का रिज़ल्ट रहा सेंट परसेंट / लेखन से ज्यादा महिलाओं की फ़ोटो पर कमेंट / टैगिंग ने सिर को दर्द दिया / चैटिंग ने दिल को दर्द दिया ।
करोड़ों पेजों के नित आमंत्रणों ने सिर धुनने पर मजबूर किया / फ़र्ज़ी आईडीयों ने ब्लॉकिंग को मजबूर किया ।