बुधवार, 15 सितंबर 2010

हो रहा भारत निर्माण .........शेफाली

हो रहा भारत निर्माण .........
 
कहीं  सड़ रहा  गोदामों में,         
कहीं भीग रहा मैदानों में |
सुप्रीम कोर्ट की डांट से भी  
जूं  ना रेंगे कानों में |
अनाज का वितरण,
कठिन लग रहा ,
पैसे का आसान |
दूर कहीं दो रोटी की खातिर,
फिर नत्था ने छोड़े प्राण |
 
हो रहा भारत निर्माण .........
 
डूब गए हैं खेत घर,
डूब गए हैं गाँव - शहर |
नहीं थम रहा किसी तरह,
पानी का ऐसा कहर |
नुकसान करोड़ों का हुआ  ,
अरबों के बनते प्रस्ताव |
किसी का आटा हुआ है गीला,  
किसी का छप्पर गई है फाड़, 
अबके बरस की बाढ़ |
 
हो रहा भारत निर्माण .........
 
ये है कॉमनवेल्थ  का खेल,
मेहमानों की इस आवभगत को,
घोटालों की चली है रेल |
खेल - खेल में इतना डकारा, 
छोर मिला ना मिला किनारा |
खुल के खाओ, और  खिलाओ,
है चारों तरफ तनी  हुई
सरकारी पैसे की आड़ | 

 हो रहा भारत निर्माण .....
 
 कैसी बनी हुई है यह धुन,
कैसा बना हुआ है गान ?
करोड़ों रुपया लेकर  भी,
चढ़ पाई ना किसी ज़ुबान |
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे,
कहाँ चूक गया वो  रहमान ?
कौन निकालेगा अब आकर
दिल्ली की छाती पर
बिंधे हुए ज़हरीले बाण ?
 
हो रहा भारत निर्माण......
 
भ्रष्टाचार की नींव तले |
करेले हैं ये नीम चढ़े |
सारे दावे हुए खोखले,
हमाम में सब नंगे मिले |
जनम- जनम के दुश्मन देखो,
कैसे हँस - हँस  गले मिले |
विश्वास नहीं तिनकों का भी अब, 
छिप जाते हैं  बिन दाड़ |
 
हो रहा भारत निर्माण......