ना एकाउंट
ना एमाउंट
ना कोई कार्ड
किस्मत थी हार्ड
पढ़ा था अखबार
सुबह सुबह
पहुँच गए
ऐ. टी. एम्.
ऐसे बन गए
यारों फूल हम ....
रचनाधर्मी
उन्होंने
हर रचना को
धर्म से जोड़ के देखा
दूसरे धर्म की हर रचना को
फाड़ा, जलाया, फेंका
इसीलिए
खुद को सदा
रचनाधर्मी कहा ...