साथियों ...कल के दिन का इंतज़ार हम सब पर भारी है ...ऐसे में मेरे मन ने भी नेता की तरह पाला बदल लिया है ...चुनावी कविता लिखने के लिए कलम बेकरार हो उठी ...
क्यूँ जगाया वोटर को ???
हर कोई हमें
झिंझोड़ कर
उठा रहा था
जागो वोटर जागो
कहकर
चाय पे चाय
पिलाए जा
रहा था जबकि
खुदी हुई थी
खाई इधर
उधर गहरा
कुँआ था
या तो सांप को
या
नाग को चुनना था
पप्पू तो
आखिरकार
हमें ही बनना था
क्यूंकि
वो हम थे
जिसके पास
कोई विकल्प
नहीं बचा था
जबकि
इनके पास
खजाना खुला
हुआ था
कल क्या होगा ???
वो बताएँगे
कल
अपनी हार का कारण
कड़कती धूप
कम मतदान
वोटर का रुझान
और
उदासीनों का
वे क्या करते
श्रीमान
और आप हैं कि
अब भी पूछ रहे हैं
कहाँ रहता है
भगवान् ???