कैसा लग रहा है लाल बत्ती के जाने के बाद ------
लगना कैसा है जी ? हम देख रहे हैं कि हमें लाल बत्ती के उतरने की तकलीफ कम है और जनता, मीडिया को खुशी ज़्यादा है | जनता हमारी तकलीफों से खुश होती है यह तो हम पहले से ही जानते थे | इसीलिये हम भी जनता की तकलीफों से दुखी नहीं होते थे | जनता की असलियत अब खुलकर सामने आ गयी है इसीलिये अच्छा ही लग रहा है | कहते भी हैं कि मुसीबत के समय ही अपने - परायों की पहचान होती है |
पहली बार जब लाल बत्ती मिली थी तब कैसा लगा था ?
उस समय की याद दिला कर ज़ख्मों पर नमक छिड़क दिया आपने | फिर भी बताते हैं | जब पहली बार लाल बत्ती लगी गाड़ी मिली थी तो लगा था ''मैं ही मैं हूँ दूसरा कोई नहीं ''| सड़कों पर मेरी गाड़ी गुज़रती थी तो जनता अचकचा जाती थी | सब दाएं, बाएं खड़े हो जाते थे | जो जहाँ खड़ा रहता था वहीं चिपका रह जाता था | लोग गाड़ी के अंदर झांकते थे | उनकी आँखों में ऐसा भाव होता था जैसे कि मैं किसी दूसरे ग्रह का प्राणी होऊं | उन्हें क्या खुद मुझे भी ऐसा लगता था | लोग सिर झुका लेते थे | हाथ जोड़कर खड़े हो जाते थे | ऐसी फीलिंग आती थी जैसे कि पुराने ज़माने में राजा लोग अपने रथ पर बैठ कर सड़क से गुज़र रहे हों और जनता पुष्प वर्षा कर रही हो | जयकारा लगा रही हो |
लाल बत्ती से क्या फायदा महसूस किया आपने ?
अजी एक फायदा हो तो गिनाऊँ | फायदे ही फायदे थे | लोग पहले लाल बत्ती लगी गाड़ी को देखते थे, फिर लाल पट्टी उसके बाद गाड़ी के अंदर झाँक कर हमारी शक्ल के साक्षात दीदार किया करते थे | अखबार और टी वी के अलावा इसी लाल बत्ती गाड़ी के अंदर जनता हमारे दर्शन करती थी | हमारे चेहरे टी.वी. और अखबार से कितने अलग दिखते हैं या बिलकुल उस जैसे ही दिखते हैं यह बात गर्व के साथ औरों को भी बताती थी | हममें से कुछ को लाल बत्ती वाले पद मिलते थे तो कुछ के लिए लाल बत्ती वाले पद बनाए जाते थे | ऐसे असंख्य पदों की जानकारी से जनता का सामान्य बढ़ता था | रात को जब लाल बत्ती लगी गाड़ियां सड़कों पर दौड़ती थीं तो स्ट्रीट लाइट की ज़रुरत नहीं रहती थी | रात को होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आ गई थी | इस पर किसी ने गौर नहीं किया |
क्या किया लाल बत्ती का ?
क्या करते ? आप ही बताइये | इतने सालों से जिसे गाड़ी में मुकुट की तरह सजाए रखा उसे फेंक कैसे देते ? अपने बेड रूम में लगा दी है नाइट बल्ब के बदले | कम से कम एहसास ही बना रहे कि कभी हम वी.आई.पी.थे | बिना लाल बत्ती के घरवाले भी आम आदमी वाली नज़र से देखने लगे हैं |
क्या लगता है किसका षड्यंत्र होगा इसके पीछे ?
आप ही बताइये किसका होगा ? उसी का जो हमें चुनती है | हाँ उसी जनता का किया धरा है सब | क्या बिगाड़ रही थी हमारी छोटी सी लाल बत्ती किसी का ? बताइये | हम किसके सेवक हैं ? जनता के ही ना ! उसकी सेवा करने में हमें लाल बत्ती गाड़ी से आसानी हो जाया करती थी | जाम में नहीं फंसना पड़ता था | लोग हकबकाकर रास्ता दे देते थे | हमारा भला क्या लाभ था बताइये ? लेकिन जनता को कौन समझाए ? जनता को कितनी सुविधाएं मिलतीं हैं हमने तो कभी ऐतराज़ नहीं किया |
जनता से कुछ कहना है ?
मैं जनता से यही कहना चाहता हूँ कि हमने उसे इतने आश्वासन दिए और उसने हमें उन आश्वासनों के बदले क्या दिया ? अभी भी सुधरने का समय है वरना एक दिन ऐसा भी आएगा कि भारत - भूमि नेताओं से खाली हो जाएगी | अकाल पड़ जाएगा | वी.आई.पी.मात्र अटैचियों पर लिखा रहेगा | हाथ जोड़ेगी जनता लेकिन कोई नेता बनने के लिए तैयार नहीं होगा | लाल बत्ती का मुवावज़ा भी काम नहीं आएगा |
कभी याद आती है लाल बत्ती की ?
जब जनता हमारी गाड़ी देखकर मुंह फेर लेती है तब उन सुनहरे दिनों की याद आ जाती है | पहले हम उसकी उपेक्षा करते थे अब वह हमें देख कर भी अनदेखा करती है हमने तो अब जान - बूझकर जनता की ओर देखना शुरू कर दिया है कि शायद वह हमें पहचान कर थोड़ी श्रद्धेय हो जाए | लोग पहचान लेते हैं लेकिन श्रद्धेय नहीं होते बल्कि उपहास सा उड़ाते हैं | समय - समय का फेर है | कभी लाल बत्ती जनता पर तो कभी जनता लाल बत्ती पर सवार हो जाती है |
सरकार से नाराज़गी है ?
अब नाराज़गी से किसी को कोई फर्क पड़ता नहीं है | वैसे हम तो अपने आप को बहू समझते हैं | यह सास पर निर्भर करता है कि वह अपनी बहू को किस रूप में देखना चाहती है ? कुछ सासें चाहती हैं कि उसकी बहुएं सोलह - श्रृंगार में रहें | ज़ेवरों से लक - दक करती रहें, ताकि अन्य सासों के सीने पर सांप लोटे | कुछ सासों का सोचना अलग होता है कि बहू इतने ज़ेवरों से लदी रहेगी तो लोग क्या कहेंगे ? नज़र लगाएंगे | चोर पीछा करेंगे | इस समय हमारी सास नहीं चाहती है कि हम लाल बत्ती से सजे - धजे रहें | हो सकता है कल दूसरी सास आए और हमें अपने हाथों - लाल बत्ती का गहना पहनाए | इस समय बहुमत मिलने के कारण हम रूठ नहीं सकते वरना तो लालबत्ती खुद चलकर हमारे दरवाज़े पर आ जाती | मैं तो जनता से अपील करूंगा कि अगली बार किसी को बहुमत न दे | बहुमत हमारे लिए अभिशाप है | बहुमत नहीं होता है तो हर किसी को लाल बत्ती देनी पड़ जाती है | हमें तो बहुमत ने मारा है |
क्या लाल बत्ती उतरने का स्वास्थ्य पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है ?
ऐसा है कि लाल बत्ती मनुष्य के रक्त में पाए जाने वाले वाले हीमोग्लोबीन की तरह होती है | हीमोग्लोबीन कम होने से जब इंसान तकलीफ में आ जाता है तो लाल बत्ती के ख़त्म होने से नेता तकलीफ में आएगा कि नहीं ? हमने हँसते - हँसते लाल बत्ती उतारी लेकिन हम जानते हैं कि हमारा दिल कितना रो रहा था | रातों की नींद उड़ गयी | नींद की गोली की डोज़ डबल हो गयी है | अपनी तो कोई बात नहीं | बत्ती मिलेगी तो उतरेगी भी और जब उतरेगी तो फिर से मिलेगी भी | मुझे दुःख तो अपनी इस गाड़ी को देखकर होता है | मोहल्ले वाले बच्चे तक हमारी गाड़ी को देखकर रास्ता नहीं देते | पहले लोग गाड़ी छूने की सपने में तक नहीं सोचते थे और अब इसके जिस्म पर जहाँ - तहाँ खरोंच पडी हुई दिख जाती है | जाम में फंस गयी तो घंटों तक फंसी रह जाती है | बत्ती क्या उतरी इसकी शान उतर गयी लगती है | गम में डूबकर पेट्रोल ज़्यादा पीने लगी है | चलते - चलते अचानक रुक जाती है | ब्रेक मारते समय झटका देती है | कहीं पर भी पंचर हो जाती है | हॉर्न बजाने पर कई बार मुझे करंट लग चुका है | मुझे कुछ नहीं हुआ लेकिन इसको गहरा सदमा लग गया है |
भविष्य के नेताओं को कोई सन्देश देना चाहेंगे ?
ज़रूर देना चाहूंगा | अब जो लोग राजनीति में आना चाहते हैं उन्हें आगाह करना चाहता हूँ | अभी लाल बत्ती बंद हुई है | कुछ दिनों बाद लाल पट्टी का नंबर आएगा | फिर केंटीन के सस्ते खाने पर गाज गिरेगी | पेंशन - भत्ते ख़त्म हो जाएंगे | सिक्योरिटी छीन ली जाएगी | मुफ्त उड़ान और यात्रा पर बैन लगेगा | सरकारी आवास छिनेगा | पाई - पाई पर नज़र रखी जाएगी | सी.सी.टी.वी. के माध्यम से प्रत्येक हरकत कैद करी जाएगी | उनमें और आम जनता के बीच कोई फर्क नहीं रह जाएगा | इसीलिये अभी भी समय है कोई और काम - धंधा पकड़ लो | हम तो फंस चुके हैं और कोई यहाँ आने से पहले सौ बार सोचे |