रविवार, 30 दिसंबर 2012

सन दो हज़ार तेरह में ........

सन दो हज़ार तेरह में ........

सजा मिले ........

गुंडों को, मवाली को, काली पट्टी वाली गाड़ी को, अफज़ल गुरु को, कांडा को, कलमाड़ी को, जिसमें तिनका मिले हर उस दाड़ी को |

वापिस लौटे .......

विदेशों से काल धन, टीम अन्ना का दम - ख़म, रीटेल में एफ.डी.आई., सरकारी कब्ज़े से सी.बी.आई., पूरी ताकत से आर.टी.आई.|

भय ना हो ........

गैस के सिलेंडर का, माया के कलेंडर का, अभिजीत को क्रीम पाउडर का, शीला को जंतर - मंतर का, कार वालों को ट्रेफिक जाम का, मलाला को तालिबान का, बैसाखियों को सलमान का |

भय हो .......

बदमाशों को सख्त कानून का, श्रद्धालुओं को भगवान् का, नेताओं को फिसलती ज़ुबान का, बलात्कारियों को शमशान का, फांसी सरेआम का, भ्रष्टों को केजरी के तूफ़ान का, बेनी को अपनी ज़ुबान का |

जांच हो .........

साधारण अध्यक्ष की, असाधारण दामाद की, कोयले के कालों की, ज़मीन के घोटालों की, रातों रात हुए मालामालों की ।

बंद हो .......

ऊपरी कमाई, आन्दोलनकारियों की पिटाई, आचरण की बेहयाई, अपराधियों की मुंह छिपाई ।

बच्चे दूर हों .......

नोर्वे से, बोरवेल से, बस्तों के बोझ से, होमवर्क की ओवरडोज़ से, तरह - तरह के रियलिटी शोज़ से ।

ख़त्म हो ........

मौनियों के मौन, साइलेंस के ज़ोन, संसद में गतिरोध, दिखावे के विरोध, बदमाशों के हौसले, बार -बार कीमत बढाने के फैसले ।

बैन हो ..........

संसद में पोर्न साइट्स, न्यूज़ चैनल पे जुबानी फाइट्स, रेव नाइट्स, शीला मुन्नी वाले गाने, औरत का जिस्म भुनाने वाले, बड़े परदे पे गालियाँ, सिगरेट, शराब की प्यालियाँ ।


क्या हो नए साल में ......

भाई - भाई में हो प्यार, नामधारी ना ले बाज़ी मार, सत्यमेव जयते रहे, प्रेम की धारा बहते रहे । कोख में, रोड में, सड़क में, बस में, जहाँ कहीं भी हो, औरत सदा सुरक्षित रहे ।


बुधवार, 26 दिसंबर 2012

तुम बातों में गालियां, और गालियों में बात करते हो

तुम बातों में गालियां, और गालियों में बात करते हो 
राखी का अपमान करके खुश होते हो, माँ की कोख पर लात जड़ते हो ।

तुम्हारी .........

हर बात में
घूंसे में, लात में
हंसी में, मज़ाक में
दुःख में, विलाप में
मान में, अपमान में
ट्रैफिक के जाम में
जान में, पहचान में
दोस्ती में, दुश्मनी में
बिगड़ी में, बनी में 
प्यार में, इकरार में
घर में, बाहर में
जीत में, हार में
स्कूटर में, कार में
गुस्से में, मार में 
नशे में, होश में
जोश में, रोष में 
गलियों में, चौबारों में
चबूतरों में, चौबारों में
रिश्तों में, नातों में
चुप्पी में, बातों में
धर्म में, जात में
पुण्य में, पाप में
ठन्डे में, गर्मी में
प्रेम में, नरमी में
झूठों में, सच्चों में
बूढों में, बच्चों में
नौकरी में, कारोबार में
नकद में, उधार में .......

तुम्हारी हर बात
माँ  - बहिन के
बलात्कार से शुरू होकर
बलात्कार पर ख़त्म होती है
फिर एक बलात्कार पर आज
दुनिया इस तरह क्यूँ
होश खोती है ?

रविवार, 2 दिसंबर 2012

.यातायात पखवाड़ा मनाने से पहले और यातायात पखवाडा मनाने के बाद .....

आज हल्द्वानी शहर की कोतवाली में यातायात पखवाड़े का आयोजन किया गया, जिसमे शहर के कवियों से यातायात के विषय में जागरूकता का संचार करने के लिए कहा गया । अपनी आदतानुसार हम जागरूकता फिलाने के बजाय व्यंग्य बाण छोड़ आए ।

हल्द्वानी .............यातायात पखवाड़ा मनाने से पहले और यातायात पखवाडा मनाने के बाद .....

इधर एक मेन बाज़ार है
जिधर चलना दुश्वार है
जिसे भी देखो
हवा के घोड़े पर सवार है ।
जीत गए जो घुसने में किसी तरह
निकलने में निश्चित हार है ।
इधर कंधे से कंधे छिलेंगे
पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार मिलेंगे
कान वाले बहरों के साथ
आँख वाले अंधे फ्री मिलेंगे ।

ये जो बाज़ार में
तैरते हुए ठेले हैं
ऊँची दुकानों के फीके पकवानों से
पैदा हुए झमेले हैं ।
इनको गौर से देखो तो
सिर चकरा जाता है
कभी सारे बाज़ार में दिखाई देते हैं ठेले ही ठेले 
तो कभी सारा बाज़ार
इन ठेलों में उतर आता है ।

इनके कारण आजकल
यमराज असहाय हैं
ये मौत का दूजा पर्याय हैं
बेधड़क ये सड़क पर
यूँ धड़धड़ाते हैं
इनकी वजह से हम
नींद में भी 'बचाओ बचाओ'
बड़बड़ाते हैं ।
शहर के अन्दर ये
कोढ़ पर खाज के समान हैं ।
जनसँख्या कम करने में साथियों
इन डंपरों का बम्पर योगदान है ।

ना हेलमेट, ना लाइसेंस
न कॉमनसेंस, ना रोड सेंस
बाइक पर सवार ये स्टंटमैन 
शिकार इनका कॉमनमैन
जब इनका टूटे कहर
काँप उठे सारा शहर ।
सबसे आगे मैं ही निकलूँ
मची हुई है रेलम पेल
बिगड़े दिल शहजादे
इन पर कौन कसे नकेल ।  

इस शहर की एक
लाइलाज बीमारी है
जिसका नाम अतिक्रमणकारी है ।
हो कोई भी सरकार
इनके आगे हारी है ।
दुकानें अन्दर कम
बाहर ज्यादा दिखती हैं
हो जाए अगर कोई त्यौहार
पैदल चलने की जगह नहीं बचती है ।
सड़क - सड़क नहीं
लगती इनकी बपौती है
इन पर काबू पाना
सबसे बड़ी चुनौती है ।

यहाँ ....................

कालू सैयद चौराहे का नज़ारा
अन्दर अमीर बाहर गरीब
भीख मांग करें गुज़ारा ।
मंगल पड़ाव, अमंगलकारी
पीलीकोठी हल्की, वाहन भारी
रोड नैनीताल, निकलना मुहाल 
कालाढूंगी सड़क, जिया धड़क -धड़क
रेलवे बाज़ार, निकल जाओ तो चमत्कार
फंस गए मियाँ , रोड तिकोनिया
भोटिया पड़ाव, छात्रों से बच पाओ
छोटे लोग, बड़ी कार
बिन कार, जीवन बेकार
होर्डिंगों के बोझ से
हांफता शहर
लाल पट्टियों  के खौफ से
काँपता शहर

निकलो जिधर से भी शहर में
एक चीज़ आम मिलेगी
हर सड़क परेशान
हर गली जाम मिलेगी ।