शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

दो चुनावी क्षणिकाएं ....

साथियों ....चुनावी मौसम में ....चुनावी क्षणिकाएं .......
जगदीश टर्रटर्र
 
वो
जब अदालत में आते हैं
धुँआधार आंसू
बहाते हैं
उनका रोना देख
मुकदमा करने वाले
खुद को
अपराधी पाते हैं
 
 
जन सेवा
 
उन्होंने 
जन सेवा का
व्रत लिया है
आज तक
मंत्री से कम
कोई पद
नहीं लिया है