गुरुवार, 31 मई 2012

आई. पी. एल. - यह खेल अपने को हज़म नहीं होता ..................

आई. पी. एल. ........यह खेल अपने को हज़म नहीं होता ....................

यह खेल अपने को हज़म नहीं होता 
जीत जाए कोई तो खुशी नहीं होती 
किसी के हारने पर ग़म नहीं होता |

इसमें ............

मिर्च मसाले हैं 
ग्लैमर के तड़के डाले हैं 
दर्शक ठुमकों के मतवाले हैं 
खेल देखना छोड़ कर 
चीयर गर्ल्स पर नज़र डाले हैं |

इसमें ...............

काले धन की बरसात है 
थप्पड़, घूंसे, छेड़खानी 
गाली - गलौच और लात है 
हर मैच के बाद 
शराब, शबाब और 
नशे में डूबी रात है |

इसमें ...................

फ़िल्मी  हस्तियाँ छाई हैं 
धनकुबेरों  की बन आई है 
खेल से इनका बस इतना ही लेना 
जब हुए नीलाम खिलाड़ी 
तब इनकी अंधी कमाई है |

इसमें .................

सट्टेबाजी, धोखेबाजी 
जालसाज़ी  
सिक्स भी यहाँ फिक्स है 
इस पूरे कॉकटेल में 
खेल की मात्रा कम हो गई 
पैसा ज्यादा मिक्स है |

इसको .....................

एक खेल कहना 
खेल का अपमान है 
पावर, पैसा, पाप 
आई. पी. एल. का फुल्फोर्म है |

साथियों .........................

खेल यह ऐसा आया 
कौन अपना है कौन पराया 
आज तक समझ ना आया |
किस चौके पर खुश हो जाऊं ?
किस छक्के पर नाचूँ, गाऊं ?
किस विकेट पर ताली बजाऊं ?
किसकी जीत पर तिरंगा लहराऊं ?
भारतवासी होने पर इतराऊं ?
टीमों की लम्बी लिस्ट में 
किसको रखूं याद 
किसको भूल जाऊं ?

देख के ऐसा खेल दिल मेरा रोता है 
यह खेल अपने को हज़म नहीं होता है 
जीत जाए कोई तो खुशी नहीं होती 
किसी के हारने पर ग़म नहीं होता |