प्यार को प्याज मत बनाओ, प्याज को प्यार मत बनाओ….
पिछले दिनों प्याज और प्यार के बीच में जंग छिड़ गयी । प्याज को लोग इतना प्यार करते होंगे यह तो प्याज को भी पता नहीं होगा । चलिए देखते हैं कि ऐसी नौबत क्यूँ आई ? इसका एक ही कारण हो सकता है । पहले हम प्याज के साथ मज़ाक करते हैं । उसे सब्जी में, दाल में, पुलाव में, सलाद में, सिरके में, शराब में, जहाँ चाहा वहां डाल कर खाते हैं । कच्चा खाते हैं , पका कर खाते हैं । ऐसे ही खाते - खाते जब हम प्याज के आदी हो जाते हैं तब वह अचानक अपने भाव बढाकर हमारे साथ मज़ाक करने लगता है । हम कुछ नहीं कर पाते तो सोशल साइट्स पर प्याज को लेकर मज़ाक करने लगते हैं । इस प्रकार प्याज और हमारा हंसी - मज़ाक का क्रम निरंतर बना रहता है ।
इस दौरान और सब्जियां भी महंगी हुईं, लेकिन प्याज़ की लोकप्रियता को स्पर्श भी नहीं कर पाईं । गोभी, बीन, यहाँ तक कि थाली का बैंगन तक थाली से गायब हो गया लेकिन किसी को एहसास तक नहीं हुआ । कारण यही रहा कि इन सब्जियों को किसी गाने में फिट करने की सुविधा नहीं रही ।
प्याज भाग्यशाली है इस मायने में कि, जब तक दुनिया में प्यार के गाने बनते रहेंगे, तब तक प्याज की लोकप्रियता बनी रहेगी ।
ना प्यार कभी प्याज में बदल सकता है न प्याज कभी प्यार बन सकता है ।
प्याज यथार्थ है जबकि प्यार कल्पना ।
प्याज को इंसान खाता है जबकि प्यार इंसान को खा जाता है ।
कोशिश करते रहें और दिल में सच्चाई हो तो आखिरकार प्यार हासिल हो ही जाता है, जबकि प्याज को लाख कोशिश करने के बाद भी हासिल नहीं किया जा सकता ।
आम आदमी को प्याज न मिले तो राजनीति होने लगती है । सभी पार्टियां अपनी - अपनी रोटियाँ सेंकने लगती हैं । ठेलों पर प्याज बेचा जाने लगता है । प्यार के साथ ऐसा नहीं है । यह आम आदमी को ना मिले तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता । किसी की सत्ता पर ख़तरा नहीं मंडराता ।
खेत में प्याज की अतिरिक्त पैदावार हो जाए तो उसे बाँट कर वाहवाही मिलती है, इंसान दरियादिल समझा जाता है, जबकि दिल में प्यार की अतिरिक्त पैदावार होने पर अगर बाँट दिया जाए तो बदनामी मिलती है ।
इसीलिये साथियों, प्याज को प्याज ही रहने दो कोई भाव न दो ।
….