शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010
छलकाएं जाम .... आइये घोटालों के नाम .... इन बबालों के नाम |
मंगलवार, 30 नवंबर 2010
सीरियल या सीरियल किलर .....कुमांउनी चेली
कि जिसमें इतना आराम है
ना कोई गृहस्थी की चिंता
ना ही कोई काम है
यहाँ घर की कोई कलह नहीं
ना काम को लेकर हैं झगड़े
ना महीने के राशन की फिक्र
ना ही बिल यहाँ आते हैं तगड़े
यहाँ बीमारी की जगह नहीं
ना ही कभी कोई मरता है
कत्ल हुआ कभी कोई तो
पुनर्जन्म ले लेता है
यहाँ ना चेहरे पर झुर्री
ना बूढ़ी लटकती खाल है
मेकअप की परतें चेहरे पर
क्या बच्ची क्या बूढ़ी
सबका एक ही हाल है
सास कौन है बहू कौन सी
पहचान जाएं तो कमाल है
ये बाज़ार कभी नहीं जातीं
साल भर त्यौहार मनातीं
नए - नए साड़ी ब्लाउजों में
इतरातीं और इठलातीं
ये काली दुर्गा की अवतार
पर पुरुष हैं जिनका प्यार
ये बुनतीं ताने -बाने षड्यंत्रों के
बदले की आग में जलतीं बारम्बार
ये चुपके -चुपके बातें सुनतीं
ज़हर उगलतीं, कानों को भरतीं
शक के बीजों को बोतीं
इन्हें ना कोई लिहाज़ ना कोई शर्म है
झगड़े करवाना पहला और आख़िरी धर्म है
ये इतने गहने धारण करतीं
जितने दुकानों में नहीं होते हैं
इनका रंग बदलना देख
गिरगिट भी शर्मा जाते हैं
इनकी शादियों का हिसाब रखने में
कैलकुलेटर घबरा जाते हैं
यहाँ रिश्तों को समझना मुश्किल होता
कौन दादा है,कौन दादी कौन है उनका पोता
यहाँ संबंधों की ऐसी बहती बयार है
समझ नहीं आता, कौन किसका, किस जन्म का
कौन से नंबर का प्यार है
लम्बे -लम्बे मंगलसूत्र पहनने वालीं
पार्टियों में सांस लेने वालीं
हर बात पे आंसूं टपकाने वालीं
तुम्हारा राष्ट्रीय त्यौहार है करवाचौथ
तुम्हारा पीछा ना कभी छोड़े सौत
हे मायावी दुनिया में विचरती मायावी नारियों
घर -घर की महिलाओं की प्यारियों
जड़ाऊ जेवर और जगमगाती साड़ियों
पतियों की बेवफाई की मारियों
तुम्हें देखकर आम औरत आहें भरती है
तुम्हारी दुनिया में आने को तड़पती है
अपने पतियों से दिन रात झगड़ती है
बुधवार, 10 नवंबर 2010
दस साल चढ़े अढाई कोस .....शेफाली
शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010
कृपया ब्लॉग जगत के साथी मेरी मदद करें...
गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010
श्राद्ध पक्ष के पंडित .......
रविवार, 10 अक्तूबर 2010
साठ की उम्र में माँ बनना और सास - बहू संवाद......
शनिवार, 2 अक्तूबर 2010
नई दिल्ली से कॉमनवेल्थ स्पीकिंग .....शेफाली
बुधवार, 15 सितंबर 2010
हो रहा भारत निर्माण .........शेफाली
कहीं सड़ रहा गोदामों में,
कहीं भीग रहा मैदानों में |
सुप्रीम कोर्ट की डांट से भी
जूं ना रेंगे कानों में |
अनाज का वितरण,
कठिन लग रहा ,
पैसे का आसान |
दूर कहीं दो रोटी की खातिर,
फिर नत्था ने छोड़े प्राण |
हो रहा भारत निर्माण .........
डूब गए हैं खेत घर,
डूब गए हैं गाँव - शहर |
नहीं थम रहा किसी तरह,
पानी का ऐसा कहर |
नुकसान करोड़ों का हुआ ,
अरबों के बनते प्रस्ताव |
किसी का आटा हुआ है गीला,
किसी का छप्पर गई है फाड़,
अबके बरस की बाढ़ |
हो रहा भारत निर्माण .........
ये है कॉमनवेल्थ का खेल,
मेहमानों की इस आवभगत को,
घोटालों की चली है रेल |
है चारों तरफ तनी हुई
सरकारी पैसे की आड़ |
हो रहा भारत निर्माण .....
कैसी बनी हुई है यह धुन,
कैसा बना हुआ है गान ?
करोड़ों रुपया लेकर भी,
चढ़ पाई ना किसी ज़ुबान |
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे,
कहाँ चूक गया वो रहमान ?
हो रहा भारत निर्माण......
भ्रष्टाचार की नींव तले |
करेले हैं ये नीम चढ़े |
सारे दावे हुए खोखले,
हमाम में सब नंगे मिले |
जनम- जनम के दुश्मन देखो,
कैसे हँस - हँस गले मिले |
विश्वास नहीं तिनकों का भी अब,
छिप जाते हैं बिन दाड़ |
हो रहा भारत निर्माण......
मंगलवार, 14 सितंबर 2010
हिन्दी - अंग्रेजी का युद्ध ...
रविवार, 5 सितंबर 2010
आखिर क्यूँ ना बढ़े सांसदों का वेतन और क्यूँ न मिलें उन्हें भाँति - भाँति के भत्ते ?
पहले संसदाई के काम में मानसिक श्रम करना पड़ता था | परन्तु विगत कुछ वर्षों से इसमें शारीरिक श्रम भी शामिल हो गया है | हलके -फुल्के जूते चप्पलों और से लेकर भारी - भरकम मेज - कुर्सियां, यहाँ तक की माइक तक उखाड़कर अध्यक्ष के आसन तक और एक दूसरे के ऊपर फेंकने के लिए ताकत की आवश्यकता होती है | पिछले दिनों इस प्रक्षेपण के अभियान में गमले भी शामिल हो गए हैं | बिना किसी की बात सुने घंटों तक गला फाड़ - फाड़ कर हो - हल्ला मचाना कोई आसान बात नहीं है | हम मास्टर होकर भी लगातार दो घंटे तक नहीं बोल सकते | कभी कभार जब ऐसी परिस्थिति आती है तो हम अगले दो दिनों तक प्रतिकार के रूप में कक्षा में मौन व्रत धारण कर लेते हैं | प्रक्षेपण और चीख -पुकार का यह कार्यक्रम निर्बाध गति से चलता रहे इसके लिए माननीय सांसदों को इतना वेतन अवश्य मिलना चाहिए जिससे वे पौष्टिक आहार ले सकें | दूध, बादाम इत्यादि खा सकें और अपने शरीर को स्वस्थ रख सकें |इसके लिए सरकार से मेरा अनुरोध है कि वह सांसदों को पुष्टाहार भत्ता देने के सम्बन्ध में गंभीरता से विचार करे |
गुरुवार, 2 सितंबर 2010
तेरी याद .....
गुरुवार, 26 अगस्त 2010
कितने कब्रिस्तान ?
इन भविष्य के निर्माताओं की झुकी हुई गर्दन और रीढ़ की हड्डी कुर्सी - मेज में बैठने के कारण सीधी हो गई है | कुर्सियों से निकलने वाली बड़ी - बड़ी कीलें कपड़ों को फाड़ना भूल चुकी हैं | बैठने पर शर्म से मुँह छिपा रही हैं | ब्लेक बोर्ड मात्र नाम का ब्लैक ना होकर वास्तव में ब्लैक हो गया है | कक्षाओं में रोज़ झाड़ू लगता है |शौचालय साफ़ सुथरे हैं | अब उनमे आँख और नाक बंद करके नहीं जाना पड़ता |
शुक्रवार, 20 अगस्त 2010
कामवालियां बनाम घरवालियाँ ...
रविवार, 18 जुलाई 2010
लाल, बॉल और पॉल .......
लाल, बॉल और पॉल .......
फ़ुटबाल के विश्वकप के दौरान तुम्हारी निरंतर सच होती भविष्य वाणियों ने मुझे महंगाई को छोड़कर तुम्हारे विषय सोचने पर मजबूर कर दिया है | आज से पहले मैं तुम्हें मात्र एक घिनौने से दिखने वाले सी फ़ूड के तौर पर देखती थी और आश्चर्य करती थी कि लोगों को तुम्हारे आठ पैरों को खाने में कितना परिश्रम करना पड़ता होगा |
उधर जर्मनी में तुम्हारे दुश्मन तुम्हें मारने की कोशिश में जुट गए हैं | तुम्हें यहाँ भारत आकर अपना धंधा ज़माने के विषय में सोचना चाहिए | यहाँ तुम्हारा धंधा जम गया तो तुम्हारी सात पुश्तों को समुद्र में जाकर खाना जुटाने की ज़रुरत नहीं रहेगी |
हमारे यहाँ यह ख़ास बात है कि एक डॉक्टर सदा दूसरे डॉक्टर के बनाए हुए पर्चे को, और एक ज्योतिषी दूसरे ज्योतिषी की बनाई हुई कुण्डली को गलत ठहराता हैं | हमारे पास बचने के और भी कई उपाय रहेंगे | हम उस समय की घड़ियों, डॉक्टरों या नर्सों पर आसानी से शक कर सकते हैं | घर पर हुए प्रसव तो हमारे धंधे में सबसे अच्छे माने जाते हैं क्यूंकि इसमें समय के गलत नोट होने की प्रबल संभावना होती है |
हम बिना किसी संकोच के ग्राहक से कह सकेंगे कि आपने हमें गुमराह किया | हम सूर्य के हिसाब से गणना कर रहे थे और आप हमें चन्द्र कुण्डली दिखा रहे थे |
हम दोनों मिलकर कुछ ऐसा करेंगे कि आने वाला कोई भो हो, राहू -केतु या शनि का दान किये बिना जाने ना पाए | दान लेने के लिए भी हमारे अपने एजेंट होंगे | दान केवल उन्हीं को दिया जाएगा क्यूंकि कुपात्र के हाथ में दान चले जाने से फल उलटा भी हो सकता है | हम भी डॉक्टर की तरह काम करेंगे जो उसी पेथोलोजी की रिपोर्ट को सही मानते हैं जहाँ से उनका कमीशन बंधा होता है | हम नाना प्रकार की अफवाहें फैलाएंगे कि फलाने ने बाबाजी का कहा नहीं माना और हमारे बताए हुए इंसान को दान नहीं दिया तो तो आज वह अर्श से फर्श पर आ गया |
इन सब के अतिरिक्त हमारे पास काल सर्प, अकाल सर्प, साढ़े साती, राहू केतु की कुदृष्टि, अंतर पर प्रत्यंतर दशा, नक्षत्र , मूल और एक हज़ार नाना प्रकार की दशाओं पर दोषारोपण करने की सुविधा मौजूद रहेगी | नेताओं की तरह हमारे यहाँ बाबाओं के बचने के भी बहुत उपाय होते हैं | हमारा धंधा चलने से कोई नहीं रोक सकता | तुम्हारे आठों पैर घी में और सिर कढ़ाई में रहेगा |
सुनो हे अष्टपाद ! तुम भारत भूमि में बहुत सफल रहोगे, क्यूंकि तुम्हारे पास आठ हाथ हैं, जिन पर तुम नाना प्रकार के रत्न धारण कर सकते हो | हम इंसानों की उँगलियों में दो या तीन से ज्यादा अंगूठियाँ पहिनने की ही गुंजाइश होती है, उन्हीं के बल पर हमारे बाबा लोगों का धंधा चल निकलता है | जितनी ज्यादा अंगूठियाँ, उतना ज्यादा ज्योतिष ज्ञान | लेकिन तुम्हारे हाथ कानून से भी लम्बे होने के कारण तुम उनमे कई प्रकार के रत्न धारण कर सकते हो | हमारी पहली कोशिश यही होंगी कि आने वाला रत्नों की चकाचौंध से अँधा हो जाए | हम पहले जातक की कुण्डली बाचेंगे फिर रत्नों को पहिनने की अनिवार्यता के विषय में नाना प्रकार की अफवाहें फैलाएंगे | चमत्कार के विषय में अफवाह फैलाने वाले एजेंटों को नियुक्त करेंगे | हमारी कोशिश यही रहेगी कि आने वाला आए तो खाली हाथ, लेकिन जाते समय उसकी हर अंगुली विविध प्रकार की अंगूठियों से सुसज्जित हो |
तुम्हारे लम्बे - लम्बे आठ पैर होने के एक सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मुफ्त में जन्मपत्री दिखाने वाले फोकटियों, जो पुरानी पहचान का वास्ता देते हुए बिना जेब ढीली किये हुए ही - ही करके कुण्डली दिखाने चले आते हैं, उनकी जेब से तुम आराम से पैसा निकाल सकते हो | चूँकि तुम्हारे हाथ कानून से भी ज्यादा लम्बे होते हैं इसीलिये उनका सदुपयोग भी कानून की तरह ही होना चाहिए |
हे ऑक्टोपस ! तुम समुद्री जीव हो, अतः समुद्र के अन्य जीवों के प्रति भी तुम्हारा कुछ दायित्व होना चाहिए | सदियों से हमारे यहाँ के पंडित मछलियों को गृह शान्ति के नाम पर चारा डलवाते रहे | मछलियों को चारा डलवाने में उन्हें यह सुविधा होती थी कि शाम को उसकी स्वादिष्ट पकौड़ियाँ मिल जाया करती थीं | अब समय आ गया है कि चारे से मछलियों का एकाधिकार समाप्त किया जाए और अन्य समुद्री जीवों यथा - केकड़े, साँप, झींगा आदि को भी चारे की परिधि के अन्दर लाया जाए | हम इसकी एवज़ में उनसे हफ्ता वसूलेंगे | हफ्ते में एक दिन जब तुम समुद्र के अन्दर वसूली के लिए जाओगे, उस दौरान हम यह प्रचारित करेंगे कि बाबा ध्यान करने और अपनी समुद्री शक्तियों को रीचार्ज करने गए हैं |
तुम्हें जर्मनी वासियों से भयभीत होने की कोई ज़रुरत नहीं है | वैसे भी वहाँ तुम्हारी असीमित प्रतिभा को सिर्फ़ फुटबाल तक सीमित करने की साज़िश रची जा रही है | सदियों से भारत को बाबाओं का और साधु - संतों का देश कहा जाता है, इसीलिये तुम पर पहला अधिकार हमारा बनता है | इसीलिये हे पॉल ! तुम बिलकुल चिंता मत करो क्यूंकि हम तुम्हें यहाँ लाने के हर संभव उपाय करेंगे |