मंगलवार, 3 मार्च 2009

चुनाव, चन्द्र और गजनी फ्लू

सरकार ने जबसे चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की है मैं बहुत परेशान हूँ. ना-ना, चुनाव से मेरा क्या लेना देना? मैं तो परेशान हूँ चाँद मुहम्मद को लेकर. सुना है, उसकी तबीयत नासाज़ है और वह अपना इलाज कराने लन्दन गया है. फिज़ा उस बेचारे पर नाहक शक कर रही है. वह वाकई बीमार है. यह कोई ऐसी-वैसी बीमारी तो है नहीं जिसे कोई भी भारतीय डॉक्टर ठीक कर दे. यह बहुत तेजी से फैलने वाला फ़्लू है. पहले बर्ड-फ़्लू फैला, आजकल गजनी-फ़्लू फैल रहा है. यह ख़ास तौर से उनको निशाना बना रहा है जिनके नाम के पहले 'चन्द्र' लगा है. इस बीमारी में आदमी जब मन चाहे शादी करता है……………...और कुछ समय बाद उसे भूल जाता है. मेजर चंद्रशेखर पन्त को जब गजनी-फ़्लू हुआ तो वह अफ़गानिस्तान में साबरा का डाबरा बना कर उसे अकेली रातों में चन्द्र के दर्शन करने के लिए छोड़ आया. पर वो भी पक्की औरत निकली. चन्द्र को माथे पर धारण करने की इच्छा लिए हिन्दुस्तान चली आई. उसने अपनी अम्मी के मुंह से सुन रखा था कि हिन्दुस्तानी पुरुष मरते दम तक प्यार निभाते हैं. लेकिन अम्मी ने ये कहावतें शायद नहीं सुनीं थीं की 'चार दिन का चन्द्र .....................फिर अंधेरी रात' और 'चालू चन्द्र की चंचल किरणें…….........………...रास रचा रहीं हैं जीवन में''. बेचारी साबरा के आँसुओं की बरसात में मीडिया ने जम कर हाथ धोए. वह बरस-बरस कर वापिस अफ़गानिस्तान चली गयी. फिर अनुराधा बाली ने दूसरे चन्द्र को अपनी लटों में उलझाया और फिज़ा बन कर बागों में चहलकदमी करने लग गयी. लेकिन चन्द्र, जिसने राधा का मोहन बनने के लिए अपनी 'सीमा' तोड़ी थी, वापिस सीमा के अन्दर चला गया ताकि कोई उस पर सीमा के उल्लंघन का इल्ज़ाम न लगाए. देशभक्ति का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है? वह फिर से चाँद से अमावस बन गया. फिज़ा में एक महीने की बहार के बाद फिर से खिज़ा आ गयी. चंदू ने राधा और मोहन के जन्म-जन्मान्तर के मेल को ठेंगा दिखाते हुए राधा का 'रा' और मोहन का '' निकाल कर उसमें '' की मात्रा (राहू) जोड़ कर अपने जीवन की कुण्डली से बाहर कर दिया. साबरा और अनुराधा यह भूल गईं थीं की चन्द्र को सिर्फ शिव ही माथे पर धारण कर सकते हैं. और सच मानिए, आजकल मैं चन्द्र नामधारियों को शक की नज़र से देख रही हूँ कि कहीं इसका दूसरा नाम चाँद या हिम्मत तो नहीं है? इधर कई पुरुष फिर से अनुराधा और साबरा के माथे का चन्द्र बनने के लिए बेकरार हैं. पार्टियां उनको अपना उम्मीदवार बनाने के लिए उतावली हैं, 'ये देखिए प्यार में धोखा खाई हुई औरतें. आप लोग भी अपनी पुरानी पार्टियों के प्यार में पड़े रहते हैं. एक ना एक दिन आपका भी यही अंजाम होगा. इसीलिए हमारी पार्टी को वोट दीजिए क्योंकि हमारी पार्टी के लोग सिर्फ़ प्यार करते हैं शादी नहीं. तो धोखे का प्रश्न ही नहीं उठता'.

 

वैसे ये चाहें तो अपनी नई पार्टी का भी गठन कर सकती हैं. मेरे पास कुछ नाम भी हैं, जैसे PPP (पर पुरुष से प्यार पाप) या BGB (भूल गए बालम)...........................................................शेफाली