तेरी याद .....
आज भी जब तेरी याद
मुझको गले से लगाती है
मैं बैचैन हो जाती हूँ |
इधर - उधर टकराकर
खुद को चोट लगा लेती हूँ |
कभी गर्म कढ़ाई के तेल के छींटों से
हाथ जला लेती हूँ |
आईने के रूबरू होने से
डरती हूँ, भाग जाती हूँ |
तुझे सोचकर, तुझे देखकर
तुझे बोलकर, तुझे लिखकर
तेरी यादों से खुद को लपेटकर
तेरी हर सांस को अपने आस - पास
महसूस करती हूँ |
काश ! तुम मेरे पास होते |
पर, अगर तुम सचमुच होते
तो क्या मैं तुम्हें इतना प्यार कर पाती
इतनी शिद्दत से याद कर पाती ?