शनिवार, 16 मई 2009

हमने अपनी हार स्वीकार कर ली है

साथियों आज चुनाव का परिणाम आ गया है ....और हमेशा की तरह हारने वाले वही घिसे पिटे संवाद कहेंगे ....कुछ लाइनें जो सदियों से चली आ रही हैं ...उन लाइनों का  छिपा हुआ मतलब क्या होता है, इसका मैंने पता लगाया है ....
 
हमने अपनी हार स्वीकार कर ली है
 
इसके अलावा आपके पास
बाकी कोई चारा नहीं था
क्यूंकि
आपके सिर पे करारी हार
उनके गले फूलों का
हार सजा था ..........
 
 
हम विपक्ष में बैठेंगे
 
ऐसा कहना बहुत ज़रूरी है
ये आपकी मजबूरी है
क्यूंकि
जब हार जाते हैं तो बस
विपक्ष में ही बैठ पाते हैं
 
 
हम जनता की सेवा करेंगे
 
सच है यह सोलह आने
क्यूंकि
जब बैठे हों गद्दी में तो
सेवा करने के क्या माने?
 
हम जनादेश का सम्मान करेंगे
 
जनादेश का हम बहुत सम्मान करेंगे
पूरे पांच साल तक कैसे
भला इंतज़ार करेंगे ?
 भिडाएंगे ऐसी जुगत,करेंगे कुछ ऐसा,
अगले ही साल चुनाव के हालात करेंगे.