अनपढ़ और जाहिल है मेरी माँ
ज़माने भर की नज़रों को पढ़ा उसने
सबसे बचा के मुझको, हीरे सा गढ़ा उसने
जब मुझको गाड़ी, बँगला और ओहदा मिला
जिन्दगी में एक हसीं सा तोहफा मिला
पूछा उस हसीं ने कितना पढ़ी है माँ?
तो मुंह से निकल गया
बिलकुल अनपढ़ है मेरी माँ
भरी जवानी जिसने आईना नहीं देखा
मैं बड़ा हुआ, मुझमें ही अपना अक्स देखा
नहा कर आऊं तो माथे पे टीका लगाती थी
मुझसे बचा के नज़रें मुझे निहारा करती थी
पूछा जब हसीं ने उसकी उम्र का हिसाब
मुंह से निकला बस एक ही जवाब
बुढ़िया हो गयी है अब मेरी माँ
दुनिया से लड़ के जब आता था
उसके आँचल में छुप जाता था
जब मेरी शादी हुई, मैंने चिटकन लगा ली
चिटकन से भी जी ना भरा तो सांकल चढ़ा ली
कही झटके से ना घुस जाए कहा मैंने
बिलकुल जाहिल है मेरी माँ
तमाम रात जो दरवाज़ा तका करती थी
नशे में जब लौटता घर, सहारा दिया करती थी
एक रात मुझे जागना पड़ा उसकी खातिर
खिला दी नींद की गोली, बुखार की कहकर
इस पर भी चैन ना हुआ, तो बोला हाथ जोड़ कर
अब तो सो जा मेरी माँ
रिश्तों को तहाया उसने कपड़ों से ज्यादा
परायों को दिया प्यार, अपनों से ज्यादा
उन रिश्तों ने जब माँ को बिसरा दिया
दुनिया का चलन हमको सिखला दिया
चुप रही माँ, हम एक सुर से बोल पड़े
अनपढ़ ही नहीं फिजूलखर्च भी है माँ
nice..this is the real story in this time..
जवाब देंहटाएंTouched a chord somewhere.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति भावों की..बधाई.
जवाब देंहटाएंbhavon ko aapne bahut hi sachchayi ke sath bayan kiya hai
जवाब देंहटाएंआज की पीढ़ी को जोरदार तमाचा मारा है. साधुवाद.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता. दिल को छू गई. सचमुच माँ ऐसी ही होती है...
जवाब देंहटाएंकविता का व्यंग्य
जवाब देंहटाएंकड़वी और घिनौनी
सच्चाई है।
समाज को आईना
दिखाने का एक
सराहनीय प्रयास है।
सुन्दर भावाभिव्यक्ति। कहते भी हैं कि-
जवाब देंहटाएंमाँ फितरत की मौसमें माँ कुदरत के राज।
माँ हर्फों की शायरी माँ साँसों का साज।।
माँ के दिल को तोड़कर रहा न कोई शाद।
माँ हो जिसपर मेहरबां उसका घर आबाद।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुंदर और दिल को छूती हुई अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसही और सच्ची सुन्दर कविता लिखी है ...बहुत अच्छी लगी यह
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग्य ..
जवाब देंहटाएंऔर ऐसी माँ और अम्मा को हम भूल जाते हैँ ,
जवाब देंहटाएंअपमान करते हैँ और बौध्धिक विवाद का
मसला बनाकर अपनी विद्वता जताते है :-(
माँ, तेरा आशीर्वाद बना रहे
स्नेह,
- लावण्या
एक हकीकत है,सच्चाई है
जवाब देंहटाएंजमाने को सही तस्वीर
तुमने दिखाई है
अच्छा लिखा है
यह एक हकीकत है,एक सच्चाई है
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाहै