गर्मी के इस मौसम में कुछ एकदम ताजा और गर्म चुनावी क्षणिकाएं लेकर मैं फिर हाज़िर हूँ .....
युवराज की डिग्री पर सवाल उठाने वालों से ....
वे,
जो उसकी डिग्री पर
सवाल उठाते हैं
उसे
नकली और फर्जी
ठहराते हैं
याद क्यूँ नहीं रखते
कि
उसके चरण कमलों में
पी.एच.डी तो एक तरफ
डी.लिट. भी अपना सिर
नब्बे डिग्री में झुकाते हैं
और कितने प्रमाण चाहिए
इतना क्या कम है
दिल के समझाने को
कि वे
नेहरु और गाँधी के
परिवार से आते हैं
कसाब का जवाब
निकल गया कसाब
पूरा बालिग जनाब
है किसी के पास
इसका जवाब
कि
कौन निकला
नाबालिग़?
और
एक बार फिर
किसके मुँह पर
पुत गयी कालिख?
आज तो बहुत तीखे तेवर हैं आपके .अच्छी रचना है ,बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत सही .खूब ...व्यंग सही किया है आपने
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....अच्छा व्यंग्य है जो बहुत कड़वा सच भी
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
करारा प्रहार,
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग्य।
वाकई बहुत गर्म है ये क्षणिकायें.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी क्षणिकाएं .. पूरे तेवर के साथ लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया!!!
जवाब देंहटाएंbahot khoob vyang ..acche mudde liye hai aapne
जवाब देंहटाएंIt's nice to use poetry to give big messages with a few words, it's nice to read your views and hope same in future too. Keep it up.
जवाब देंहटाएंvinodnath.blogspot.com
पढ़ा और
जवाब देंहटाएंकान जल गए
पानी नहीं हुए
जल गए।