chunavi kavita achhi lagi
सही है..चुनाव खत्म हों तो आपकी बाकी रचनाऐं पढ़ने मिले. :)
बहुत ही बढ़िया लगी आपकी यह रचना---चाँद, बादल और शाम
बढ़िया है।घुघूती बासूती
प्रजातन्त्र ही ढोये भार दाल-आटे का।किये करोड़ो खर्च बजट लाये घाटे का।।आम आदमी झेल रहा है मँगाई की मार।नेता जी के घर में आयी नये नवेली कार।।
कुछ कुछ चलेगा
अच्छी रचना .
सही है.
आह
:))
chunavi kavita achhi lagi
जवाब देंहटाएंसही है..चुनाव खत्म हों तो आपकी बाकी रचनाऐं पढ़ने मिले. :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया लगी आपकी यह रचना
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चाँद, बादल और शाम
बढ़िया है।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
प्रजातन्त्र ही ढोये भार दाल-आटे का।
जवाब देंहटाएंकिये करोड़ो खर्च बजट लाये घाटे का।।
आम आदमी झेल रहा है मँगाई की मार।
नेता जी के घर में आयी नये नवेली कार।।
कुछ कुछ चलेगा
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना .
जवाब देंहटाएंसही है.
जवाब देंहटाएंआह
जवाब देंहटाएं:))
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