कुछ चिरकुट से शेर .....
सूने पन से त्रस्त हूँ
वैसे बेहद मस्त हूँ
करीने से सजा है मकां मेरा
मैं इसमें अस्त व्यस्त हूँ
.................................................
वो नंबर बन के
मेरे पर्स में रहता है
खुद को कहता है आवारा पंछी
और मेरी मुट्ठी में कैद रहता है
.........................................................
तेरी ख्वाहिश, तेरी आरजू
तेरी तमन्ना , तेरी जुस्तजू
तूने भी कहा चीख कर
दुनिया के साथ -साथ
बेरोजगार हूँ मैं , बेकार हूँ मैं
करीने से सजा है मकाँ मेरा
जवाब देंहटाएंमैं इसमें अस्त व्यस्त हूँ।"
चिर कूट शायरी को 'चिरकुट' न कहें।
-------------------------------
चश्माधारी हूँ इसलिए हलद्वानी आने पर खीर तो नहीं खानी लेकिन चाय ज़रूर पीनी है।
कम से कम शेर को तो चिरकुट ना कहिये।पता नही कब ज़माने पहले कामिक मे पढा करते थे चक्रम जासूस और उसका कुत्ता होता था चिरकुट्।अपके शेर तो ओरिजिनल शेर है जी,खासकर बेकार वाला।
जवाब देंहटाएंवा वा वा वा
जवाब देंहटाएंवो नम्बर बन के...
जवाब देंहटाएं-बेचारा. इसमें कैसी चिरकुटाई?? इतना गंभीर शेर है जी.
क्या बात है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
मुझे तो ये शायरी बेहद अच्छी लगी !
सभी की अंतिम लाईन जोरदार है
मैंने डायरी में करीने से सजा ली हैं
हार्दिक शुभकामनाएं !
आज की आवाज
बहुत लाजवाब शेर हैं. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह वाह
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह ! शेर चिरकुट कैसे हो सकता है :)
जवाब देंहटाएंअच्छे शेर हैं।बधाई।
जवाब देंहटाएंshefali ji sach me kamaalki abhivyakti hai vo number ban kar---- bahut khoob shubhkamanayen aabhar
जवाब देंहटाएंकोई चिरकुट नहीं ,सब के सब उम्दा .
जवाब देंहटाएंबहुत 'माई डियर- से ' शेर हैं ।
जवाब देंहटाएंअरे वाह..... क्या चिरकुटिये हैं.... वाकई चिरकुटिये हैं... वाह..
जवाब देंहटाएंप्लीज मैम...इस पोस्ट का शिर्षक बदल दीजिये...
जवाब देंहटाएंपहला वाला तो दिल को छू गया
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं