बढ़िया क्षणिका है.पर, शीर्षक देख कर मैं कोई धांसू व्यंग्य पढ़ने की फिराक में आया था :)
क्या बात है शेफ़ाली...बहुत सही.
आदर्शों का संकट आया,उसने एक कसाब बनाया।
ये तो आपकी किसी कविता का बच्चा लग रहा है...
कविता का बच्चा ही सही पर बिल्कुल सटीक लिखा है.रामराम.
bilkul sahi kaha aapne
बढ़िया क्षणिका है.
जवाब देंहटाएंपर, शीर्षक देख कर मैं कोई धांसू व्यंग्य पढ़ने की फिराक में आया था :)
क्या बात है शेफ़ाली...बहुत सही.
जवाब देंहटाएंआदर्शों का संकट आया,
जवाब देंहटाएंउसने एक कसाब बनाया।
ये तो आपकी किसी कविता का बच्चा लग रहा है...
जवाब देंहटाएंकविता का बच्चा ही सही पर बिल्कुल सटीक लिखा है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bilkul sahi kaha aapne
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