उसने कहा था .....
उसने कहा ......अभिव्यक्ति ।
उन्होंने कहा .....अभी वक्त नहीं ।
उसने कहा ........धर्मनिरपेक्षता ।
उन्होंने कहा .......धर्म पर देश टिका ।
उसने कहा .........मेरी विश्वरूपम देखो ।
उन्होंने कहा ........हमारा विषवमन देखो ।
उसने कहा .........मैंने सैंसर बोर्ड से पास कराई ।
उन्होंने कहा ........हमारे कैंसर बोर्ड को दिखाई ?
उसने कहा ...........आखिरकार, मैं गया हार ।
उन्होंने कहा ..........पकड़ो छुरी, तेज़ करो धार ।
इसको जगह - जगह से काटो डालो ।
जो हमें पसंद ना आए, हर उस दृश्य को छांट डालो ।
उसने कहा ...........एक बार फिर कला शर्मसार हो गयी है ।
उन्होंने कहा .........पिक्चर भी तार - तार हो गयी है ।
हाँ ! लेकिन अब यह प्रदर्शन को पूरी तरह से तैयार हो गयी है ।
क्या शानदार फ़िल्म है जी!वाह!
जवाब देंहटाएंसन्नाट फिल्म समीक्षा..
जवाब देंहटाएंusne kaha-kaisee lagi .
जवाब देंहटाएंunhone kaha -shandar v sateek .
बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति राजनीतिक सोच :भुनाती दामिनी की मौत आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
तुम भी कमाल हो :)
जवाब देंहटाएंक्या मस्त समीक्षा है .
शानदार फिल्म समीक्षा !
जवाब देंहटाएंRecent postअनुभूति : चाल ,चलन, चरित्र (दूसरा भाग )
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अपने देश के आजकल यही हाल है !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन: ताकि आपकी गैस न निकले - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुन्दर समीक्षा | फिल्म अभी देखि नहीं मैंने पर देखना ज़रूर चाहूँगा जल्दी ही |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
वाह.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..
अनु
सटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंउसकी तो किसी ने सुनी ही नहीं
जवाब देंहटाएंउन्होंने मिलके गला दबा दिया....