चुनावी क्षणिकाएँ
वे
बताएँगे
अपनी हार का कारण
कड़कती धूप,
कम मतदान,
वोटर का रुझान
और
उदासीनों का
वे क्या करते
श्रीमान ?
सच भी ये
क्यूंकि
आज भी
महात्मा गांधी है
मजबूरी का
दूजा नाम ।
वे
दिखाएंगे
पूरी ईमानदारी
स्वीकार करेंगे
हार की ज़िम्मेदारी
जनता के फैसले का
करेंगे स्वागत 'औ 'सम्मान
क्यूंकि
आज भी
महात्मा गांधी है
मजबूरी का
दूजा नाम ।
वे
करेंगे हार के
कारणों की समीक्षा
मजबूरन
पाँच साल तक
मौके की प्रतीक्षा
सबके
सिरों को जोड़ेंगे
फिर ठीकरों को
फोड़ेंगे
साफ़ बचेगा
हाईकमान
क्यूंकि
आज भी
महात्मा गांधी है
मजबूरी का
दूजा नाम । [मास्टरनी ]
वाह …… लाजवाब
जवाब देंहटाएंBahut khoob
जवाब देंहटाएंऔर भजेंगे वैष्णव जन तो तैने कहिये
जवाब देंहटाएंरखकर बगल में छुरी मुँँह में राम :)
बहुत सुंदर वाह ।
बेहद उम्दा सामयिक रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)
और जीतने वालों पर लगायेंगे सच्चे झूटे आरोप।
जवाब देंहटाएं